गैंगरेप पीडिता की आँखों में डाला तेजाब,नहीं मिला इन्साफ

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

संवाददाता

छावला में दरिंदगी और हैवानियत की शिकार हुई 19 साल की युवती के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही पीड़िता की मां फूट-फूट कर रोने लगी। रोते हुए वह सिर्फ एक ही बात कह रही थी कि वह अपनी लाडो को इंसाफ नहीं दिला पाई। उन्होंने कहा कि बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए वह 12 साल तक संघर्ष किया, जिसे अदालत ने नजर अंदाज कर दिया।

पीड़िता के पिता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वह टूट गए हैं, लेकिन कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अपनी बेटी के साथ हैवानियत करने वाले तीनों आरोपी को बरी किए जाने की जानकारी मिलते ही पीड़िता की मां रोने लगी। आस पास मौजूद लोग उन्हें चुप करने की कोशिश कर रहे थे।उन्होंने कहा कि बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई में मैं अकेली या केवल हमारे स्वजन नहीं है। हमारा पूरा मोहल्ला, पूरा समाज, पूरा शहर, पूरा देश हमलोगों के साथ है। परिजनों ने कहा कि पहले द्वारका जिला अदालत ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई और फिर हाई कोर्ट ने इसे बरकरार रखा। हमें देश की शीर्ष अदालत से भी उम्मीद थी कि हाई कोर्ट के निर्णय को कायम रखा जाएगा, लेकिन हमें निराशा हुई। इसकी उम्मीद नहीं थी।
सामूहिक दुष्कर्म के बाद आंखों में तेजाब डालकर मार दिया था
छावला इलाके में साल 2012 में ऐसी घटना को अंजाम दिया गया, जिसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी। तीन युवकों ने इलाके की रहने वाली 19 साल की युवती को कार से अगवा कर लिया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी आंखों में तेजाब डालकर मार डाला।

घटना 14 फरवरी 2012 की है। युवती काम खत्म करने के बाद शाम को अपने घर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में तीन युवकों ने कार से उसे अगवा कर लिया। काफी देर तक बेटी के घर नहीं पहुंचने पर परिवार वालों को चिंता सताने लगी और वह अपने स्तर पर अपनी बेटी की तलाश शुरू की। उसके बाद परिजनों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी।

पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। शुरूआत में पुलिस को पता चला कि तीन युवक पीड़िता को कार से अगवा कर ले गए हैं। पुलिस ने कुछ दिन बाद इस मामले में तीन आरोपी रवि कुमार, राहुल और विनोद को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने युवती को अगवा करने के बाद उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से उसे पीटा गया। उसके शरीर को सिगरेट से जलाया गया।

बदहवास हो गई युवती की दोनों आखों में तेजाब डालकर उसकी हत्या कर दी। इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले के पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया।
सिर्फ नैतिक दोष या संदेह के आधार पर आरोपी दोषी नहीं

सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों से वंचित किया गया। ट्रायल कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतें केवल नैतिक दोष या संदेह के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहरा सकती हैं। यह सच हो सकता है कि यदि जघन्य अपराध में शामिल अभियुक्तों को दंडित नहीं किया जाता है या बरी कर दिया जाता है, तो सामान्य रूप से समाज और पीड़ित के परिवार को दुख और निराशा हो सकती है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More