मैनपुरी की जीत सपा के लिए जश्न के साथ-साथ सबक भी

राष्ट्रिय जजमेंट न्यूज़

संवाददाता

लखनऊ:समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव जीत कर सिर्फ अपना गढ़ ही नहीं बचाया है बल्कि भविष्य के सियासी सफर का सबक भी लिया है। इस चुनाव से साफ हो गया कि आपसी एकजुटता और मतदाताओँ को जोड़े रखने की रणनीति ही जीत का रास्ता दिखा सकती है। यहां जिस तरह से संगठन और नेतृत्व की जुगलबंदी दिखी, इसे बरकार रखना होगा। तभी लोकसभा चुनाव 2024 की तस्वीर खुशनुमा बनाई जा सकती है।पार्टी को आपसी एकजुटता और हर वर्ग केमतदाताओं को जोड़े रखने की रणनीति भी निरंतर बनाए रखनी होगी।

मैनपुरी से मिली ऊर्जा का सदुपयोग करते हुए लोकसभा के लिए अभी से तैयारी शुरू करनी होगी।मैनपुरी में भाजपा के एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद शिवपाल मैदान में उतरे। अखिलेश यादव ने उनका साथ दिया।हवाई जनसभा के बजाय एक-एक मतदाताओं को मुलायम सिंह यादव के नाम और काम की याद दिलाई गई। नतीजा साफ है कि मतदाताओं ने नेताजी को श्रद्धांजलि दी। डिंपल यादव 2.88 लाख से विजयी रहीं।सपा ने घर की सीट बचा ली, लेकिन अब आगे का रास्ता तय करने के लिए उसके सामने कई तरह की चुनौतियां भी हैं।

हालांकि रामपुर में शिकस्त मिली है। इसका अंदेशा उसी दिन से था, जब सिर्फ 32 फीसदी मतदान हुआ था।यहां चुनाव का नेतृत्व रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने किया।समाजवादी पार्टी के लिए रामपुर उपचुनाव में मिली हार केबाद कई तरह की चुनौतियां भी सामने आनी तय है।अब्दुल्ला आजम विधायक जरूर है, लेकिन मतदाताओं के बीच उस कदर धमक अभी नहीं है, जो आजम खां की थी। ऐसे में समाजवादी पार्टी के अंदरखाने में यह चर्चा हैकि भविष्य में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के लिए कौन मुस्लिम चेहरा होगा।

 

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