कानपुर:पूरे विश्व को सैडलरी का निर्यात किया जाता है। कोविड काल के दौरान सबसे पहले खादी के उत्पादों से जूता बनाना शुरू किया गया। इसमें जूट का सोल और रबर का प्रयोग कर जूता बनता है। सूती धागों से सिलाई की जाती है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। ये जूते चार से पांच साल तक चलते हैं।कानपुर में पहली बार खादी और मशरूम से जूते बनाए जा रहे हैं। इनकी निर्यात भी किया जा रहा है। वीएसएसडी कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह जानकारी एएफपीएल ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन राजीव कुमार जालान ने दी।
कंपनी के चेयरमैन और चर्म निर्यात परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके जालान ने बताया कि कोविड काल के दौरान सबसे पहले खादी के उत्पादों से जूता बनाना शुरू किया।इसमें जूट का सोल और रबर का प्रयोग कर जूता बनता है। सूती धागों से सिलाई की जाती है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। ये जूते चार से पांच साल तक चलते हैं।अमेरिका को 15-18 करोड़ के जूतों का निर्यात भी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वियतनाम में मशरूम से चमड़ा तैयार होता है।उन्होंने बताया कि इन उत्पादों की कीमत अन्य चमड़ा के उत्पादों के बराबर है। ऐसे में इनका निर्यात मूल्य प्रतिस्पर्धी है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण के अनुकूल जूतों के निर्माण पर खुशी जताई।
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