मनीष सिसोदिया ने विंटर एक्शन प्लान की समीक्षा के 12 दिन बाद भी प्रशासन नाकाम ?.

रिपोर्ट: भावेश पिपलिया

आर जे न्यूज़, नई दिल्ली, 24, दिसंबर ,2022।

सर्दी में कोई बेघर न रहें इसलिये बीती 13 दिसंबर की दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर विंटर एक्शन प्लान की समीक्षा की थी और कहा था की रात 8 से सुबह 4 बजे तक, हमारे मोबाईल वैन पूरे शहर में घूमेंगे। जहा भी कोई बेघर रात को खुले आसमान में सोता हुआ मिले, उनसे आग्रह कर उन्हे रैनबसेरे तक पहुचाएँगे। पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अधिकारियों के साथ बैठक कर विंटर एक्शन प्लान की समीक्षा करने के 12 दिन बाद भी जमीनी स्थिति में बदलाव नही नजर आ रहा।

रैन बसेरा एप में समस्या:

दिल्ली सरकार ने बेघर लोगों के रेस्क्यू हेतु एक रैन बसेरा एप भी बनाया है परंतु इस एप्लीकेशन में कई समस्याएं आ रही है लॉगिन करने में, रेस्क्यू रिक्वेस्ट भेजने में और कुछ मोबाइल में तो काम भी नहीं कर रही। जिसके कारण रेस्क्यु रिक्वेस्ट भेजने में कई यूजर को समस्या आ रही है।

कंट्रोल रूम से व्हाट्सएप पर समय पर नही मिल रहा रेस्क्यू का अपडेट:

डूसिब द्वारा रेस्क्यू हेतु एवं अन्य शिकायत हेतु कंट्रोल रूम का एक व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया है जो +91 9871013284 है। पर इस नंबर पर रेस्क्यू रिक्वेस्ट भेजने के काफी समय बाद या एक से अधिक बार मांगने पर शिकायत नंबर मिल पाता है एवं शिकायत की स्थिति अपडेट जानने हेतु भी काफी इंतजार करना पड़ता है। हरएक शिकायत की जानकारी के लिए भी बार-बार कंट्रोल रूम में कॉल करना पड़ता है। कभी-कभी तो व्हाट्सएप से की हुई शिकायत की स्थिति अपडेट मिलने में 24 घंटे से भी अधिक समय लगता है।

रैन बसेरा में जगह नही होने का हवाला देकर वापस भेजते हैं बेघर को पर अंदर पार्क करते हैं गाड़ियां:

आनंद विहार स्थित रैन बसेरा नंबर 214 में 20 दिसंबर की रात को 11:27 पर को जब राष्ट्रीय जजमेंट के पत्रकार ने बीना पहचान बताए केयर टेकर को एक रात रुकने देने का निवेदन किया तो केयर टेकर ने जगह नहीं होने का हवाला देकर वापस भेज दिया जब केयर टेकर को नजदीकी अन्य रैन बसेरे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने शाहदरा जाने का सुझाव दिया हालांकि शाहदरा आनंद विहार से काफी दूर है। हालांकि डूसिब की वेबसाईट अनुसार आनंद विहार स्थित रैन बसेरे की कैपेसिटी 50 लोगों की है। वेबसाईट के मुजब 20 दिसंबर को रात 12, दिसंबर 19 की रात 14 और 21 दिसंबर को 12 लोग सोए थे, अगर डूसिब वेबसाईट की माने तो 20 तारीख को भी जगह थी पर स्टाफ का गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण परिसर का मैन गेट खोले बिना ही मना कर दिया गया। अगर केयर टेकर चाहते तो रेस्क्यू टीम के माध्यम से नजदीकी दूसरे रैन बसेरे में भेजने का प्रस्ताव दे सकते थे। इससे पहले भी इसी रैन बसेरे में मीडिया रिपोर्ट में रात 8:00 बजे बाद खाना होने के बावजूद भी बेघरों को नही देने का और रैन बसेरे के अंदर बाइक पार्क करने की खबरे सामने आई है। इसी ख़बर को लेकर जब डूसिब के कंट्रोल रूम में कॉल किया तो रोहित ने बताया की जगह नही होने के कारण माना किया होगा, अगर जगह नही है तो किसी को नीचे तो नही सुला सकते, और बाईक रैन बसेरे में पार्क करने को लेकर रोहित ने कहा की बाहर चोरी होने के डर से अंदर खड़ी करते होंगे।

अस्थाई रैन बसेरे शुरु होने में देरी के कारण ठंड में सोने को मजबूर बेघर:

सरकारी कागजों में 15 नवंबर से ही विंटर एक्शन प्लान शुरु हो चुका था। पर जमीनी स्तर पर लगभग बीते 10 दिनों से कार्यरत दिख रहा है। बीते कुछ दिनों से दिल्ली में ठंड लगातार बढ़ रही है, पर अभी तक दिल्ली के विभिन्न स्थानों ने सिर्फ 33 ही अस्थाई रैन बसेरे कार्यरत हो पाए है जिनके कारण अभी भी सड़क किनारे, फूटपाथ पर लोग ठंड की मार झेलने को मजबूर है।

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