गांव का इकलौता स्कूल बंद होने लगा तो IAS का सपना छोड़कर बनीं सरपंच

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बठिंडा। पंचायत चुनाव में सबसे कम उम्र की सरपंच बनने वाली एक 22 साल की लड़की गांव का भला करने के लिए अपना सपना छोड़ कर राजनीति में आई है।
मानक वाला की रहने वाली शेशनदीप कौर दिल्ली में रहकर आईएएस की तैयारी कर रहीं थीं। गांव का इकलौता स्कूल बंद होने से बचाने के लिए शेशनदीप कौर ने चुनाव लड़ा और सरपंच बन गईं।
गांव मानक वाला की रहने वाली शेशनदीप कौर सिद्धू की मां रूपिंदर कौर अध्‍यापक हैं, जबकि पिता ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करते हैं। छोटा भाई स्‍वर्णजीत सिंह लॉ स्‍टूडेंट है। वह गांव के ही स्कूल से पढ़ी हैं।
इसके बाद 2017 में कृषि से बीएससी की डिग्री हासिल की और फिर दिल्‍ली जाकर आईएएस की कोचिंग में दाखिला लिया। शेशनदीप अपने सपने को साकार करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही थी।
जब उन्हें पता चला कि उनके गांव का सरकारी स्‍कूल बंद होने वाला है, तो वह गांव के बच्‍चों खासकर लड़कियों की पढ़ाई को लेकर चिंतित हो गईं।
काफी सोच-विचार के बाद शेशनदीप ने इस स्कूल को बंद होने से बचाने का फैसला किया। इसी बीच पंचायत चुनाव की घोषणा हुई तो शेशनदीप चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा।
रविवार को वोटिंग के बाद आया नतीजे में शेशनदीप कौर को 247 वोट मिले, जबकि उनकी विरोधी करमजीत कौर को सिर्फ 136 वोटों से संतोष करना पड़ा। शेशनदीप अपने परिवार से दूसरी सरपंच हैं। इससे पहले उनके दादा जरनैल सिंह भी गांव के सरपंच रह चुके हैं।
शेशनदीप कहती हैं, ‘मुझे पता चला कि मेरे गांव का इकलौता सरकारी स्‍कूल बच्‍चों की कम संख्‍या की वजह से बंद होने के कगार पर है। ऐसी स्थिति में गांव के छोटे बच्‍चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए दूर-दराज के गांवों या शहर का रुख करना पड़ता।
मैंने निश्‍चय किया कि किसी भी हाल में यह स्‍कूल बंद होने से बचाना है। अब यह काम मैं बखूबी कर सकती हूं।’ गांव के ड्रेनेज सिस्‍टम को भी दुरुस्‍त करवाया जाएगा, क्‍योंकि गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है।
गांव का आरओ प्‍लांट भी काम नहीं कर रहा है। वह जानती हैं कि चुनौतियों से निपटना बहुत आसान नहीं है, इसके लिए सरकार और सरकारी विभागों से विकास कार्य करवाने के लिए बातचीत करेंगी।
माैजूदा चुनाव में लुधियाना के गांव फूल्लांवाल में सर्वसम्मति से निर्वाचित 21 साल के सन्नी सेखों जहां पंजाब के सबसे कम उम्र के सरपंच बने, वहीं अब प्रदेश में महिलाओं के वर्ग में सबसे कम उम्र में सरपंच बनने का गौरव शेशनदीप के हाथ आया है।
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हरियाणा में अब तक 21 साल की रेखा जहां सबसे कम उम्र की सरपंच हैं, वहीं शेशनदीप कौर सिद्धू 22 पंजाब प्रदेश में सबसे कम उम्र की महिला सरपंच बनी हैं।

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