लखनऊ: रेल यात्रियो की यात्रा को आनंदमयी बनाते हुए उनको प्लेटफार्म तथा गाड़ियों में आवश्यक सामान्य वस्तुओं को उपलब्ध कराने की दिशा में निरंतर प्रयासरत उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल द्वारा अवैध एवं अनाधिकृत वेंडरों तथा इस प्रकार के अवांछित तत्वों की रोकथाम करने तथा रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु अनेक प्रकार की नई योजनाओं एवं प्रक्रियाओं को अमल मे लाया जा रहा हैI जिसके अंतर्गत आज लखनऊ स्टेशन के स्टेशन प्रबंधक आशीष सिंह की उपस्थित मे लखनऊ से गोरखपुर हेतु यात्रा करने वाली कुमारी दिव्या द्वारा इस नई योजना को प्रारंभ किया। इस सेवा के द्वारा यात्रियों को उचित एवं निर्धारित मूल्य पर उपयोगी जनरल सामग्री को विक्रय हेतु लाइसेंसी मेसर्स गुड फूड कैटरिंग सर्विसेज को अधिकृत किया गया है।
यह व्यवस्था लखनऊ मंडल के 5 रेल मार्गो पर लागू होगी।
इस व्यवस्था के अंतर्गत दैनिक उपभोग की वस्तु जेसे तौलिया, कंघी, पेपर सोप सहित स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी कई अन्य जनरल सामग्री को उचित एवं निर्धारित मूल्य (एमआरपी) पर बेचने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
इस योजना में खानपान की किसी भी सामग्री को नहीं बेचा जासकेगा |
मंडल के 5 रेल मार्गो की ट्रेनों में मिलेगी यह सुविधा।
एक ट्रेन में तीन वेंडर तथा एक रेल खंड में 30 वेंडरों को सामान विक्रय की अनुमति होगी।
रेलवे बोर्ड की इनोवेटिव आईडिया पॉलिसी के तहत यह योजना लागू की गयी है।
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल द्वारा ट्रेनों में अवैध वेंडिंग रोकने के लिए इस नई योजना को लागू करने का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। जिससे ट्रेनों में अवैध वेंडरों पर लगाम लगेगी साथ ही बेरोजगार युवकों को चलती ट्रेनों में दैनिक उपयोग एवं यात्रा के दौरान आकस्मिक आवश्यकता संबंधी सामान , तौलिया, लगेज चेन व ताले सहित उचित स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी सामग्री बेचने की अनुमति होगी। इस कार्य से जहां एक ओर अवैध वेंडरों पर रोक लगेगी वहीं यात्रियों को उचित मूल्य पर सामान्य सामग्री मिल सकेगी तथा रोज़गार की संभावनाओं में भी वृद्धि होगी। इस कार्य में कार्यरत वेंडरों को उचित यात्रा एवं विक्रय प्राधिकार पत्र प्रदान किये गए Iउक्त प्रक्रिया के तहत लखनऊ मंडल द्वारा इस कार्य को लखनऊ से वाराणसी वाया अकबरपुर, लखनऊ से उन्नाव(कानपुर) लखनऊ से वाराणसी वाया प्रतापगढ़, लखनऊ से वाराणसी वाया सुल्तानपुर एवं लखनऊ से प्रयागराज संगम वाया रायबरेली रूट पर यह सुविधा शुरू की जा रही है। जिससे रेलवे को एक वर्ष में लगभग रू 30 लाख रुपए का नॉन फेयर रेवेन्यू प्राप्त होगा।
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