श्रीमदभागवत कथा को जीवन में आत्मसात करने से कुल का उद्धार होता है। कथा वाचक ओमकार

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टोंडरपुर/ हरदोई

विकासखंड टोंडरपुर क्षेत्र के गांव सलेमपुर रॉय के निवासी नरेश राठौर के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन आज कथा वाचक ओंकार रॉय ने राजाओं का वर्णन करते हुए वसुदेव देवकी के विवाह, कंस का अत्याचार व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा को सुनाते हुए बताया है कि जब जब इस पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है तब तब परमपिता परमात्मा आकर के असुरों का श्रृंघार करते हैं और भक्तों का कल्याण करते हैं इसके बाद उन्होंने कृष्ण जन्मोत्सव का उत्सव बड़े धूमधाम से झांकी दिखाकर मनाया। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर कथा पंडाल को फूल मालाओं, खिलौनों व रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया गया। श्री ओंकार शास्त्री ने कहा कि भारत की पवित्र माटी में मनुष्य का जन्म लेकर भी जो इस पुण्यदायिनी श्रीमद्भागवत कथा को नहीं सुनते उनका जीवन ही बेकार है और जिन लोगों ने इस कथा को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया है तो मानो उन्होंने अपने माता-पिता और पत्नी तीनों के ही कुल का उद्धार कर लिया है। श्रीमद्भागवत के सहारे से ही मनुष्य भगवान श्रीहरि विष्णु के परमधाम को प्राप्त होकर उनके प्रिय पार्षद बन जाते हैं और पुन: इस मृत्यु लोक में जन्म नहीं लेते। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास में कहा कि सुख-दुख दोनों मनुष्य के भीतर ही निवास करते हैं यदि दुख न हो तो सुख की कीमत का पता नहीं चलता। सुख तो एक क्षण का एहसास कराता है जबकि कोई न कोई दुख मनुष्य को घेरे ही रखता है। इसलिए मनुष्य को अपना स्वभाव ऐसा बनाना चाहिए कि न दुख में अधिक दुखी हो और न ही सुख में अधिक सुखी। हमेशा ईश्वर का सुमिरण करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। कथा के बीच-बीच में उन्होंने कई प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। भागवत में परीक्षित बने अनुज उर्फ सोनू राठौर के साथ पत्नी धनदेवी,संदीप व ग्रामवासियों सहित आसपास के लोग काफी संख्या में रहे मौजूद।

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