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*** जय श्री राधे ***
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
***ll जय श्री राधे ll***
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*दिनाँक:-18/02/2023, शनिवार*
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
फाल्गुन
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- त्रयोदशी 20:01:42 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—— उत्तराषाढा 17:40:46
योग———- व्यतिपत 19:34:41
करण————- गर 09:50:34
करण———– वणिज 20:01:42
करण——- विष्टि भद्र 30:10:18
वार———————– शनिवार
माह———————- फाल्गुन
चन्द्र राशि—————— मकर
सूर्य राशि——————- कुम्भ
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:55:33
सूर्यास्त————— 18:11:04
दिन काल————- 11:15:31
रात्री काल————- 12:43:36
चंद्रास्त—————- 15:58:37
चंद्रोदय————— 30:17:28
लग्न—- कुम्भ 4°56′ , 304°56′
सूर्य नक्षत्र—————— धनिष्ठा
चन्द्र नक्षत्र————– उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*??? पद, चरण ???*
भो—- उत्तराषाढा 07:06:09
जा—- उत्तराषाढा 12:23:54
जी—- उत्तराषाढा 17:40:46
खी—- श्रवण 22:56:54
खू—- श्रवण 28:12:31
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कुम्भ 04 : 29 धनिष्ठा , 4 गे
चन्द्र =मकर 03°:23, उ o षाo , 2 भो
बुध =मकर 15 °: 34′ श्रवण’ 2 खू
शुक्र=मीन 03 °05, पू o भा o ‘ 4 दी
मंगल=वृषभ 20°30 ‘ रोहिणी’ 4 वू
गुरु=मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 03°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे
राहू=(व) मेष 13°40 भरणी , 1 ली
केतु=(व) तुला 13°40 स्वाति , 3 रो
*?? शुभा$शुभ मुहूर्त ??*
राहू काल 09:44 – 11:09 अशुभ
यम घंटा 13:58 – 15:22 अशुभ
गुली काल 06:56 – 08:20 अशुभ
अभिजित 12:11 – 12:56 शुभ
दूर मुहूर्त 08:26 – 09:11 अशुभ
वर्ज्यम 21:12 – 22:36 अशुभ
?चोघडिया, दिन
काल 06:56 – 08:20 अशुभ
शुभ 08:20 – 09:44 शुभ
रोग 09:44 – 11:09 अशुभ
उद्वेग 11:09 – 12:33 अशुभ
चर 12:33 – 13:58 शुभ
लाभ 13:58 – 15:22 शुभ
अमृत 15:22 – 16:47 शुभ
काल 16:47 – 18:11 अशुभ
?चोघडिया, रात
लाभ 18:11 – 19:47 शुभ
उद्वेग 19:47 – 21:22 अशुभ
शुभ 21:22 – 22:57 शुभ
अमृत 22:57 – 24:33* शुभ
चर 24:33* – 26:08* शुभ
रोग 26:08* – 27:44* अशुभ
काल 27:44* – 29:19* अशुभ
लाभ 29:19* – 30:55* शुभ
?होरा, दिन
शनि 06:56 – 07:52
बृहस्पति 07:52 – 08:48
मंगल 08:48 – 09:44
सूर्य 09:44 – 10:41
शुक्र 10:41 – 11:37
बुध 11:37 – 12:33
चन्द्र 12:33 – 13:30
शनि 13:30 – 14:26
बृहस्पति 14:26 – 15:22
मंगल 15:22 – 16:18
सूर्य 16:18 – 17:15
शुक्र 17:15 – 18:11
?होरा, रात
बुध 18:11 – 19:15
चन्द्र 19:15 – 20:18
शनि 20:18 – 21:22
बृहस्पति 21:22 – 22:26
मंगल 22:26 – 23:29
सूर्य 23:29 – 24:33
शुक्र 24:33* – 25:37
बुध 25:37* – 26:40
चन्द्र 26:40* – 27:44
शनि 27:44* – 28:47
बृहस्पति 28:47* – 29:51
मंगल 29:51* – 30:55
*?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??*
मकर > 03:56 से 05: 38 तक
कुम्भ > 05: 38 से 07:32 तक
मीन > 07:32 से 08:54 तक
मेष > 08:54 से 10:24 तक
वृषभ > 10:24 से 12:26 तक
मिथुन > 12:26 से 14:54 तक
कर्क > 14:54 से 17:58 तक
सिंह > 17:58 से 19:10 तक
कन्या > 19:10 से 22:18 तक
तुला > 22:18 से 00:42 तक
वृश्चिक > 00:42 से 01:52 तक
धनु > 01:52 से 03: 54 तक
*?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 13 + 7 + 1 = 36 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
*? शिव वास एवं फल -:*
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 20:01 से रात्रि 30:10
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*?? विशेष जानकारी ??*
*शनि प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
*महा शिवरात्रि व्रत
*बैद्यनाथ जयंती
*??? शुभ विचार ???*
श्वानपुच्छमिच व्यर्थ जीवितं विद्यया विना ।
न गुह्यगोपने शक्तं न च दंशनिवारणे ।।
।। चा o नी o।।
एक अनपढ़ आदमी की जिंदगी किसी कुत्ते की पूछ की तरह बेकार है. उससे ना उसकी इज्जत ही ढकती है और ना ही कीड़े मक्खियों को भागने के काम आती है.
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