मुझे एक सप्ताह तक खड़ा रखते और सोने की मनाही थी: हामिद

0
हामिद अंसारी के पास पाकिस्तान में बिताए अपने संस्मरण के रूप में हाथ से बनाए दो पेपर बॉक्स हैं, जिन्हें उन्होंने मुंबई स्थित अपने घर के शोकेस में रखा है। इन बॉक्स में ब्रेस्लेट, एक पेन, एक माला और एक चाबी का गुच्छा है। हामिद जब जेल में थे तब उन्होंने ये मोतियों से बनाए थे। उन्होंने जेल में इसे खाना बनाने की तरह सीखा।
33 साल के हामिद अंसारी कहते हैं कि अवैध रूप से पाकिस्तान में घुसने के कारण छह साल जेल में रहने के बाद भारत लौटे तो तीन हफ्ते बाद दोस्तों से मिले और घर वापस आ गए। उनके बाल अब पतले हो गए हैं। जब वह 27 साल के थे तब उनके बालों का रंग गहरा था।
मुस्कुराते हुए हामिद कहते हैं, ‘कुछ दिन पहले में अंधेरी स्थित अपने दोस्त के घर गया। तब मां मेरी मौजूदगी के लिए मुझे फोन करती रहीं।’ 59 साल की फौजिया अंसारी (हामिद की मां) भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहती हैं, ‘जब भी वह घर से बाहर निकलता है मैं बेचैन हो जाती हूं।’
नवंबर, 2012 को आईटी इंजीनियर और एमबीए ग्रेजुएट हामिद अंसारी यह कहकर घर से चले आए कि वह नौकरी के इंटरव्यू के लिए काबुल जा रहे हैं। इसके एक सप्ताह बाद वह यह सोचकर तोरखम बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गए कि वहां फेसबुक के जरिए दोस्त बनी आदिवासी लड़की (25) को खोज लेंगे।
फेसबुक चैट के जरिए लड़की ने हामिद को बताया था कि परिजन उसकी शादी कहीं और करा रहे हैं। हालांकि 14 नवंबर, 2012 को हामिद को गिरफ्तार कर लिया गया और मिलिट्री एजेंसी व आईएसआई को सौंप दिया गया। इसके बाद जासूसी के आरोप में हामिद को पेशावर जेल में साढ़े तीन साल रखा गया।
जेल में बिताया अपना पुराना वाक्या याद करते हुए हामिद कहते हैं, ‘पूछताछ के दौरान वह मुझे एक सप्ताह तक खड़ा रखते और सोने की मनाही थी। मैं अपना खाना भी नहीं पचा सकता था। उल्टी कर देता, होश खो बैठता।’ हामिद कहते हैं कि जिस जेल में उन्हें रखा गया, वहां हमेशा अंधेरा ही रहता। वहां रहते हुए वह दिन और रात में अंतर तक नहीं पहचान पाते।
साल 2015 में हामिद को पेशावर में दूसरी जेल में भेज दिया गया। उस समय हामिद के लिए अंजान एक पाकिस्तानी पत्रकार उनकी मां के कहने पर उन्हें पेशावर की जेलों में खोज रही थीं। दरअसल साल 2014 में हामिद की मां एक महिला पत्रकार के घर पहुंची और सुप्रीम कोर्ट की मानवाधिकार सेल के साथ एक आवेदन पत्र दाखिल किया।
हालांकि 19 अगस्त, 2015 को लाहौर में उनका अपहरण कर लिया गया। अपहरण के दो साल बाद तक वह लापता रहीं। महिला पत्रकार के महीनों लापता रहने के बाद हामिद को दिसंबर, 2015 में एक सैनिक कोर्ट में पेश किया गया। हामिद कहते हैं, ‘अपने बचाव के लिए उन्होंने मुझे एक वकील दिया लेकिन उसने भी अपने हाथ खींच लिए। मुझे हथकड़ी लगाई गई और आखों पर पट्टी बांधने के बाद अपना बचाव करने के लिए छोड़ दिया गया।’
2015 में इसी दौरान फौजिया, वकील काजी मुहम्मद अनवर और मानवाधिकार कार्यकर्ता वकील रकशंदा नाज के संपर्क में आईं। इस तरह 2016 में हामिद की पहली बार पेशावर जेल में मां फौजिया से मुलाकात हुई। हामिद के शब्दों में, ‘मुझे महसूस हुआ कि लोग मेरे लिए काम कर रहे थे।’ आखिरकार जेल में बीत रही हामिद की जिंदगी में बदलाव आया और सुबह 11 बजे और
दोपहर तीन बजे उनकी सेल खुलने लगी। वह अपने बर्तन धोते, कपड़े धोते, खाना बनाते और नहाते। जेल में पैसे कमाने की बात पर हामिद कहते हैं, ‘हर महीने हम तड़के का तेल जमा करके बेचते थे।’ इस दौरान उन्होंने सात या आठ लीटर तेल बेचा। बदले में मिले पैसों से उन्होंने जेल की दुकान से मोती खरीदे और कैदियों के बेचने के लिए इनकी चीजें बनाने लगे।
लाल पेपर बॉक्स की तरफ अंगुली करते हुए हामिद कहते हैं, ‘मैंने सब रकशंदा मैडम को दे दिया। बदले में उन्होंने मां को यह बक्सा ये कहते हुए दिया कि उनके बेटे ने क्या बनाया है।’ हामिद की स्टोरी में वकील अनवर, नाज के अलावा पाकिस्तानी पत्रकार और
एक्टिविस्ट जतिन देशाई उन हीरो में से एक थे जिन्होंने उनकी भारत लौटने में मदद की। नाज ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब अधिकारी उनके घर आए तब उन्होंने हामिद के पक्ष में गवाही दी। हालांकि हामिद से उनकी कभी मुलाकात नहीं हुई।
यह भी पढ़ें: राजस्‍थान: कर्ज माफी में धांधली, लिस्‍ट में कर्ज न लेने वालों के भी नाम
पाकिस्तान से लौटने के बाद हामिद अब अपनी दूसरी जिंदगी शुरू करने की दिशा में देख रहे हैं। परिवार ने उनके लिए नया पासपोर्ट बनवाने के लिए आवदेन किया है। बेटे के वापस लौटने पर मां फौजिया ने उमराह करने की मन्नत मांगी थी। अब कुछ महीनों में हामिद कॉलेज में पढ़ाने के लिए आवेदन करेंगे। हामिद की योजना पाकिस्तान में बिताए इतने सालों पर एक किताब लिखने की भी है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More