मुख्यमंत्री पोर्टल बना एल.डी.ए. का गेम प्लान

परिवर्तन जोन-7 के अवर अभियंता सहित सुपरवाइज़र अखण्ड भ्रष्टाचार में लिप्त

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

रिपोर्ट

लखनऊ: विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी को आईजीआरएस के माध्यम से शिकायत करने पर भी नहीं होती है कोई कार्यवाई,फर्जी निस्तारण कर लगा दी जाती है रिपोर्ट।एल.डी.ए विभाग के परिवर्तन जोन-7 में तैनात अवर अभियंता एवं सुपर वाइज़ार अवैध वसूली कर दोनों हाथों से लूटने खसोटने में मशगूल है।जब अवैध निर्माण हो रहे होते हैं। तो एलडीए अधिकारी मौन साध जेबें भरने में रहते हैं व्यस्त,इस पर जब कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराता है। तो उस पर भी स्थानीय अधिकारी रिपोर्ट लगाता है और रिपोर्ट में लिख देता है कि शिकायतकर्ता का फोन नहीं उठा।जबकि इस मामले की होनी चाहिए विशेष जांच,अधिकारी को पूरा संज्ञान होता है कि निर्माण कहां चल रहा है और किस की शिकायत की जा रही अपने गुनाहों पर्दा डालने के लिए अधिकारी लगाते हैं गलत रिपोर्ट।

अभी ताजा मामला प्रकाश में आया है कैम्पवल रोड स्थित आरआर पैट्रोल टैंक के पास से खंजर बैग तकिया को जाने वाली सड़क पर चल रहे अवैध निर्माण का।पूर्ण जानकारी होने के बाद भी जताते हैं अनिभिज्ञता ताकि उच्च अधिकारियों के सवालों से बचा जा सके। जब अवैध निर्माण की जनहित में कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से शिकायत करता है। तो उस का फर्जी निस्तारण दिखाकर झाड़ लेते हैं अपना दामन।इसका मतलब क्षेत्र में अधिकारी एवं सुपरवाइजर सिर्फ पैसा बटोरने में हैं मस्त। सच तो यह है अवैध निर्माण को रोकना नहीं चाहते बल्कि उसे बढ़ावा दे कर बना खड़ी कर रहे भ्रष्टाचार की मीनार।

आखिर कब लेंगे सूबे के सूबेदार इन भ्रष्ट अधिकारियों कि खबर या उलटे गरीब के झोपड़ों पर ही चलता रहेगा उनका बुलडोज़र, जबकि होना तो यह चाहिए कि पहले उन भ्रष्ट अधिकारियों पर बुलडोज़र चलाया जाए जिनकी शह पर लोग धड़ल्ले से करते हैं अवैध निर्माण।थाना ठाकुरगंज अंतगर्त परिवर्तन जोन-7 लगभग सबसे बड़ा क्षेत्र है। जिसमें ठाकुरगंज, दुबग्गा, कैम्पवल रोड, जहां पर सबसे ज्यादा हो रहा अवैध निर्माण, लेकिन एल. डी .ए. विभाग के किसी अधिकारी को नहीं आरहा नज़र।मालूम हो कि कोई व्यक्ति अगर अपने घर की नाली भी सही करा रहा हो तो तुरंत एलडीए विभाग के अधिकारी पहुँच जाते है।

हैरत है कि इतने बड़े-बड़े काम्प्लेक्स बगैर एलडीए विभाग की जानकारी के बगैर बन कैसे जाते है।सच तो यह है एल.डी.ए जे ई, ए ई कराते है। अपने सुपर वाइज़ारों से वसूली एक हज़ार स्कूआयर फिट, स्लेप पर एक लाख एवं पचास हज़ार रुपए महीना से शुरू होती है। अब इसके ऊपर जितना जाएंगे उतना ही बढ़ता जायगा शिष्टाचार।जब अवैध निर्माण पर कोई सवाल पूछा जाता है। तो जवाब देने से भागते हैं। और फोन उठाना भी बंद कर देते हैं। एक सच यह भी एल.डी.ए के अधिकारी एवं सुपरवाइजर, अपने वेतन से कई गुना अधिक करते है ऊपर की कमाई, इनकी जांच भी ईडी या एस आई टी द्वारा कराई जाए तो सब कुछ साफ हो जाएगा।

हद तो यह है कि मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल जो लोगों की समस्याओं के निबटारे के लिए बनाया गया था सब से ज़ियादा वहीँ होरहा फ़र्ज़ी वाड़ा, वहाँ भी खाना पूर्ती के सिवा कुछ नहीं,,उस से भी ज़ियादा हैरत की बात तो यह है कि जिस अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जाती है। वही अधिकारी निस्तारण की रिपोर्ट लगाता है ?मुख्यमंत्री पोर्टल को भी एलडीए अधिकारियों की मिली भगत ने बना दिया सफ़ेद हाथी जहाँ से अब न्याय की उम्मीद करना भी बे ईमानी है।

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