चांदनी चौक में पुरानी हवेली का संरक्षण कर विरासत को बचाने की मुहीम में जुटे विजय गोयल

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

रिपोर्ट: भावेश पीपलिया

नई दिल्ली: पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल पुरानी दिल्ली की विशिष्ट पहचान रही हवेलियों को सहेजने की मुहिम में जुटे हैं। गोयल ने चांदनी चौक के धर्मपुरा क्षेत्र में गोल्डन हवेली को नया रूप दिया है जो लोगों, खासकर विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। विजय गोयल ने गोल्डन हवेली के लिए एक कर्टेन रेज़र कार्यक्रम का आयोजन के दौरान आमंत्रित अतिथियों को नवनिर्मित गोल्डन हवेली का भ्रमण कराया गया।

चांदनी चैक में हवेली धर्मपुरा के बाद विजय गोयल ने एक दूसरी हवेली को संरक्षण के लिए लिया और 15 अप्रैल, 2019 को 150 साल पुरानी इस हवेली के सरंक्षण की जिम्मेदारी संभाली।

विजय गोयल ने कहा कि ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण करने के लिए पैसा और पैषन दोनों चाहिए। उन्होंने कहा की उनको दुःख होता है यह देखकर कि पैसा और पैषन न भी हो तो भी सरकारी विभाग के लोग जो सीधे पर्यटन और पुरातत्व से जुड़े हुए हैं, उन्होंने भी कभी इन हवेलियों को देखने तक की जिज्ञासा नहीं दिखाई, फिर उनका संरक्षण करने के लिए तो क्या करते। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि जब उन्होंने पहली हवेली ‘हवेली धर्मपुरा’ का 6 साल के अथक परिश्रम से संरक्षण किया था, तब उसको उनके प्रयासों के लिए यूनेस्को अवार्ड मिला I

हवेली धर्मपुरा से दस मकान की कुछ दूरी पर स्थित 200 गज की इस गोल्डन हवेली की सुन्दरता देखते ही बनती है। गोयल बताते हैं कि यह हवेली चांदनी चैक के मषहूर ज्वैलर्स मार्किट दरीबा और किनारी बाजार के साथ है। हवेली की छत पर आप जाकर देखेंगे तो आपको जामा मस्जिद, लाल किला, गौरीषंकर मंदिर, जैन मंदिर, गुरूद्वारा शीशगंज इत्यादि सब दिखाई देंगे।

गोयल ने कहा की हम जी-20 की भारत की अध्यक्षता का उत्सव मना रहे हैं, और इसलिए मैंने इस हवेली को जी-20 गोल्डन हवेली का नाम दिया है I

गोयल ने कहा की गोल्डन हवेली हैरिटेज स्वरूप लिए हुए यह न केवल आर्किटेक्चर फीचर के नमूने, परम्परागत प्राचीन निर्माण की षैली लिए हुए है, बल्कि चांदनी चैक जैसे शहर में एक अपना इतिहास लिए हुए है। कहा जाता है कि इसमें कभी अनार का पेड़ हुआ करता था, इसलिए इसका नाम गली अनार पड़ा। उस समय यह एक ऐसा स्वादिष्ट फल था और पर्शिया देश से इसका लघु स्वरूप लाकर यहां कोर्टयार्ड में लगाया गया था, जो बाद में काफी बड़ा हो गया।

प्रसिद्ध वास्तुकार कपिल अग्रवाल के कठिन परिश्रम से इस कार्य को गोयल ने अंजाम दिया। कपिल अग्रवाल ने इस से पहले हवेली धर्मपुरा में विजय गोयल के साथ काम किया था।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More