पहले भी कई सरकारों ने दिया सवर्णों को आरक्षण, हर बार कोर्ट ने किया खारिज

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मोदी सरकार ने सवर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर 10फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इस फैसले के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण लोगों को सरकारी नौकरियों में10 फीसदी आरक्षण मिलेगा।
बता दें कि केन्द्र सरकार कल (मंगलवार) को संविधान में संशोधन प्रस्ताव लाएगी और उसके आधार पर आरक्षण मिलेगा।
संविधान क्या कहता है: संविधान के मुताबिक आरक्षण का पैमाना सामाजिक असमानता है और किसी की आय और संपत्ति के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाता है। अनुच्छेद16(4) के अनुसार, किसी व्यक्ति विशेष को नहीं आरक्षण किसी समूह को दिया जाता है। गौरतलब है कि इस आधार पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई बार आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा चुका है।
पहले भी खारिज हुआ है प्रस्ताव:
– बता दें कि अप्रैल 2016 में गुजरात सरकार ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी।
सरकार के फैसले के मुताबिक 6 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को इस आरक्षण के अधीन लाने की बात की गई थी। लेकिन अगस्त 2016 में हाईकोर्ट ने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था।
– सितंबर 2015 में राजस्थान सरकार ने अनारक्षित वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 14 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था। हालांकि दिसंबर, 2016 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इस आरक्षण बिल को रद्द कर दिया था। हरियाणा में भी ऐसा ही हुआ था।
– 1991 में मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू होने के बाद पूर्व पीएम नरसिंह राव ने आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया था और 10प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी। हालांकि 1992 में कोर्ट ने उसे निरस्त कर दिया था।
– 1978 में बिहार में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को तीन फीसदी आरक्षण दिया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया।
अभी कैसे होता है आरक्षण:
– अनुसूचित जाति को 15 प्रतिशत
– अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत
– अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत
-कुल आरक्षण है 49.5 प्रतिशत
बता दें कि सरकार के लिए अभी इसे लागू करने में कई चुनौतियां बाकी हैं। जिन्हें संविधान में संशोधन कर दूर करना होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीम 50 प्रतिशत तय कर रखी है।
वहीं संविधान में आर्थिक आरक्षण देने का प्रावधान भी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ संविधान के अनुच्छेद 15- 16 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने की बात की है।
गौरतलब है कि संविधान में परिवर्तन के लिए भी सरकार के लिए दोनों सदनों से बहुमत प्राप्त करना होगा जो आसान नहीं होगा।

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