आलोक वर्मा सीबीआई निदेशक पद पर बहाल

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उच्चतम न्यायालय ने आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर मंगलवर को बहाल करते हुए उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने हालांकि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच पूरी होने तक उन्हें (वर्मा को) कोई भी बड़ा निर्णय लेने से रोक दिया है। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि वर्मा के खिलाफ आगे कोई भी निर्णय सीबीआई निदेशक का चयन एवं नियुक्ति करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने आलोक वर्मा तथा गैर सरकारी संगठन कामन काज आदि की याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इस प्रकरण में हालांकि प्रधान न्यायाधीश ने फैसला लिखा परंतु वह आज न्यायालय में उपस्थित नहीं थे। अत: यह फैसला न्यायमूर्ति कौल और न्यायमूर्ति जोसेफ ने सुनाया।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति केन्द्रीय सतर्कता आयोग की जांच के नतीजों के आधार पर निर्णय लेगी। उसने कहा कि एक हफ्ते के भीतर समिति की बैठक बुलाई जाए। पीठ ने इसके साथ ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के तौर पर नियुक्ति रद्द की। न्यायालय ने केन्द्र के 23 अक्टूबर को सीबीआई प्रमुख के तौर पर वर्मा के अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के फैसले को रद्द कर दिया।
वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद उनके झगड़े के सार्वजनिक होने पर केन्द्र ने यह निर्णय लिया था। आलोक कुमार वर्मा का केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है।
वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सीबीआई प्रमुख को छुट्टी पर भेजने का फैसला सीवीसी की सिफारिश पर किया था। जेटली ने कहा कि फैसले की कॉपी का अध्‍ययन करने के बाद सरकार आगे की कार्रवाई पर कोई फैसला लेगी।
उच्चतम न्यायालय ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर मंगलवर को बहाल करते हुए उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने हालांकि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच पूरी होने तक वर्मा पर कोई भी बड़ा निर्णय लेने पर रोक लगा दी है।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि वर्मा के खिलाफ आगे कोई भी निर्णय सीबीआई निदेशक का चयन एवं नियुक्ति करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने यह फैसला सुनाया। वर्मा का सीबीआई निदेशक के तौर पर दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, “हम किसी व्‍यक्ति के खिलाफ नहीं हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत करते हैं। यह सरकार के लिए एक सबक है। आज आप इन एजेंसियों का इस्‍तेमाल लोगों को दबाने के लिए करेंगे, कल कोई और करेगा, फिर लोकतंत्र का क्‍या होगा?”
आलोक कुमार वर्मा और ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। वर्मा ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के एक और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के दो सहित 23 अक्टूबर 2018 के कुल तीन आदेशों को निरस्त करने की मांग की थी।
केन्द्र ने शीर्ष अदालत के सामने वर्मा को उनकी जिम्मेदारियों से हटाकर अवकाश पर भेजने के अपने फैसले को सही ठहराया था और कहा था कि उनके और अस्थाना के बीच टकराव की स्थिति है जिस वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी ‘‘जनता की नजरों में हंसी’’ का पात्र बन रही है। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था केन्द्र के पास ‘‘हस्तक्षेप करने’’ तथा दोनों अधिकारियों से शक्तियां लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजने का ‘‘अधिकार’’ है।

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