जनता के लाखों रुपए बरबाद, डूसिब ने ध्वस्त किए खुद के ही 8 रैन बसेरे

नई दिल्ली: दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड ने ही खुद के 8 रैन बसेरों को ध्वस्त कर जनता के लाखों रुपए को बरबाद कर दिया। दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड की जिम्मेदारी बेघर लोगों का पुनर्वास कराने की है, पर यहां तो डूसिब ने खुद ह अपने आठ रैन बसेरों को बीना किसी अग्रिम सूचना के जमींदोज कर दिया। बताया जा रहा है की जी-20 सम्मेलन के मद्देनजर तैयारियां हो रही है। जी-20 में सौंदर्यकरण को लेकर कार्रवाई के नाम पर जानता के पैसों की बरबादी भी होती नजर आ रही है।

दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड ने बीना किसी अग्रिम सूचना को रैन बसेरे में रह रहे बेघारों को रैन बसेरा ध्वस्त कर सड़क पर सोने को मजबूर कर दिया है। डूसिब ने कश्मीरी गेट थाना क्षेत्र में आठ रैन बसेरों को जमींदोज कर दिया। सभी रैन बसेरे पोर्टा केबिन थे। जिनका कोड नंबर 100, 115, 247, 105, 256, 257, 135, 227 था। जिन्हें बीती रात डूसिब के पुनर्वास निर्देशक पी के झा की निगरानी में जमींदोज कर दिया गया।

डूसिब मेम्बर एक्सपर्ट बिपिन राय ने बताया की डीडीए की जमीन थी, जिनको डीडीए ने खाली करने के लिए कहा था। वहां रहते बेघर को आस पास के रैन बसेरों में शिफ्ट किया जा रहा है। और रैन बसेरे के ढांचे को कही ओर शिफ्ट करने हेतु जगह की पहचान कर रहे है

सुप्रीम कोर्ट की राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति के सदस्य इंदु प्रकाश सिंह ने कहा कि ये मानवीय अधिकारों का हनन है, जितनी निंदा की जाए उनती कम है। डूसिब ने बेघरों के रहने का अधिकार छीना है। डूसिब ने न्यायालय के आदेशों पर ही शेल्टर बनाया था। शेल्टर जनता के पैसों से बना था, ये पोर्टा केबिन था जिसको खोल कर कही ओर भी बना सकते थे। डूसिब की सीईओ गरीमा गुप्ता और संबंधित अधिकारियों की तनख्वाह से इसका पैसा वसूला जाना चहिए। यह सभी शेल्टर बनाने में कई साल लगे थे। इनके लिए कई बार न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय तक गए थे तभी जाकर ये शेल्टर बन पाए थे। जिनको डूसिब ने चंद घंटों में जमींदोज कर दिया। लोगों को 2010–11 से इन शेल्टरों में आश्रय मिला था। अब एक झटके में इनको सड़क पर ला दिया। इससे पहले जब भी कोई शेल्टर शिफ्ट भी करते थे तो इनका जिक्र मोनिटरिंग कमिटी की मीटिंग में होता था। पर ये शेल्टर को ध्वस्त किया इनकी जानकारी तक नही दी गई।

सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट-सीएचडी के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार आलेडिया ने बताया की इन रैन बसेरों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। 10 मार्च को ही याचिका की सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले को आगे मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया है, जहां अदालत में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के पुनर्वास निदेशक पीके झा ने कहा था कि वे 14 तक कोई प्रतिकूल कार्रवाई नही करेंगे। इनके बावजूद आठ रैन बसेरों को जमींदोज कर दिया गया जो न्यायालय की अवमानना है। डूसिब की सीईओ गरीमा गुप्ता और पुनर्वास निदेशक पीके झा पर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा होना चाहिए। डूसिब का काम है शेल्टर बनाने का पर उन्होंने ने हो करोड़ों की सरकारी संपत्ति को जमींदोज कर दिया है। अब लोग सड़कों पर सोने को मजबूर है। पीके झा कह रहे है की हम 11 लोगों की शिफ्ट करेगें। हालाकि कोर्ट ने आंकड़ों की बात नहीं की थी। जो 11 लोगों को शिफ्ट करने की बात कर रहे हैं वो सभी याचिकाकर्ता है। इनके अलावा भी यहां कई लोग रहते हैं। हालांकि याचिकाकर्ता को भी कही शिफ्ट नही किया है। उन्हें भी सड़क पर सोने को मजबूर किया है।

हालांकि इस पूरी घटना पर डूसिब की सीईओ गरीमा गुप्ता और पुनर्वास निदेशक पीके झा की ओर से किसी भी प्रकार का बयान नही दिया गया। दोनो को कई सवाल पूछे गए पर किसी भी सवाल का जवाब नही दिया।

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