कानपुर: वायरल संक्रमण से सोमवार को तीन निमोनिया रोगियों की मौत हो गई।सीनियर फिजीशियन डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि रोगियों के फेफड़ों में न्यूमोनाइटिस हो जा रहा है। निमोनिया होने से उनका ब्लड प्रेशर गिरने लगता है और पल्स नहीं मिलती। वहीं अति गंभीर हालत में आए रोगियों को वेंटिलेटर पर रखा गया है। एक्यूट रेस्पेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) की स्थिति में हैलट इमरजेंसी में भर्ती हुए रोगी की मौत हो गई। इसके अलावा सांस फूलने की दिक्कत पर हैलट एंबुलेंस लाए गए रोगी राघव (60) की रास्ते में मौत हो गई।
दोपहर को जब परिजन हैलट पहुंचे रोगी की मौत हो चुकी थी। रोगी के परिजन राकेश ने बताया कि रोगी का पांच साल से अस्थमा का इलाज चल रहा था। वायरल संक्रमण के बाद अचानक हालत बिगड़ी थी। इसके अलावा नवाबगंज के रोगी केदार (62) की निमोनिया से मौत हुई है। परिजन उन्हें सिविल लाइंस के निजी अस्पताल ले गए थे। सीएमओ डॉ. आलोक रंजन का कहना है कि मौसमी वायरल संक्रमण चल रहा है। पुराने रोगियों को जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर विकास मिश्रा का कहना है कि एच3एन2 वायरस के संक्रमण से बुखार, गले का संक्र मण, नाक बहना, सिर दर्द और खांसी होती है। इसके अलावा गंभीर स्थिति में यह निमोनिया और सांस की नली में सूजन कर देता है। गंभीर संक्रमण में रोगी की मौत हो जाती है।65 साल से अधिक और पांच साल से कम उम्र के बच्चे इस संक्रमण को लेकर अधिक संवेदनशील होते हैं।उन्होंने बताया कि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने सुझाव दिया है कि ऐसे इलाके में न जाएं जहां सूअर रहते हैं। `
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