मड़ावरा: बे-मौसम की बारिश ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी मड़ावरा क्षेत्र के किसानों खेतों में ही नहीं दिलों पर भी गिरे ओले

संवाददाता- पत्रकार इन्द्रपाल सिंह’प्रिइन्द्र’/राजीव कुमार जैन रानू/हरिश्चन्द्र पाल
मड़ावरा/ललितपुर। जनपद के किसानों को इस बार हुई बे-मौसम की बारिश ने बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया है। महंगी हो चुकी जुताई-बुआई और खाद-पानी की किसी तरह व्यवस्था करके गेहूं की खेती करने वाले किसानों के अरमानों पर प्रकृति की मार पड़ने से उनका बुरा हाल हो गया है। दो-तीन दिनों के तेज आंधी-पानी के साथ पड़े ओलों से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं।

ललितपुर जनपद की तहसील मड़ावरा,महरौनी के ग्राम सैदपुर,सतवांसा,रनगॉव,गढ़ौली,साढूमल,मानिकपुर, डोंगरा खुर्द,प्यासा,लुहर्रा समेत अनेक गांवों में तेज आंधी के साथ ओले बरसने से किसानों की बोई गई फसलें- गेंहू,चना, मसूर, इत्यादि बर्बाद हो गई हैं। किसानों का कहना है कि समितियों से खाद बीज कर्ज पर लेकर खेती किए थे, लेकिन प्रकृति के कोप ने सबकुछ तहस-नहस करके रख दिया है।
जनपद में तीन-चार दिन से हो रही हल्की बारिश के बाद मंगलवार को ओले बरसने से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसानों ने अपने खलिहान पर जो फसलें रखीं थीं, वो पानी भर जाने के कारण वह अब सड़ने के कगार पर पहुंच गई हैं।

डोंगरा खुर्द निवासी किसान भानुप्रताप सिंह ने बताया कि ग्राम के अधिकतर किसानों ने गेहूं की फसल उगाई हुई थी, जिसे बेमौसम की बरसात ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। नष्ट हुई फसल देखकर उनके आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं। कुछ ऐसी ही पीड़ा अन्य किसानों की है जिनके मुख से शब्द निकलने से पहले ही खेत में गिरी गेहूं की फसल को देख आंसू आ जाते हैं।

सैदपुर निवासी किसान महेन्द्र पाल सिंह का कहना है कि ‘बारिश के साथ ओले पड़ने से किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। गेहूं की बालियां पकने को हुई थीं कि बारिश हो गई, जिससे फसलें नष्ट हो चुकी हैं। सरसों और अरहर की फसलों का और भी बुरा हाल है। वह शासन-प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

बारिश से फसल को नुकसान
किसान राजा सिंह का दर्द है कि ‘उन्होंने गेंहू,सरसों और अलसी की फसल उगाई थी। इस वर्ष फसल भी अच्छी हुई थी। कुछ ही दिनों में उसे काटने की तैयारी चल रही थी कि अचानक बेमौसम की हुई बरसात ने उनके अरमानों पर न केवल पानी फेर दिया है, बल्कि उनकी कमर तोड़ कर रख दी है’।
उन्होंने बताया कि ‘महंगे दर पर खाद पानी के साथ ट्रैक्टर से खेतों की जुताई पर अच्छी खासी रकम खर्च की थी। उम्मीद थी कि फसल अच्छी होने पर काफी मुनाफा होगा और लागत भी निकल आएगी, लेकिन प्रकृति के कोप ने उनकी उम्मीदों को ही नहीं, बल्कि कई महीनों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।

किसान पुलन्दर सिंह प्रकृति की इस बेरुखी पर कहते हैं कि ‘बे-मौसम की इस बरसात ने किसानों को बड़ा नुकसान किया है, इससे उबर पाना शायद ही किसानों के लिए सहज होगा। जहां सिंचाई के संसाधनों का घोर अभाव है, यहां किसानों ने अपने निजी संसाधन से गेहूं, सरसों, अलसी, चना और अरहर जैसी फसलें उगाई थी। खेतों में लहलहा रही अच्छी फसलों को देखकर किसानों में काफी उम्मीद भी जगी थी, लेकिन उनकी उम्मीदें बरसात होते ही चकनाचूर हो गईं।

बारिश से ज्यादा ओलावृष्टि से हुआ नुकसान

बीते कुछ दिनों से मौसम के मिजाज बदल गया था। कई जगह बारिश से फसलों को नुकसान हुआ। मंगलवार देर शाम एक बार फिर तेज बारिश हुई, करीब 20 मिनट बारिश के साथ ओले भी पड़े।

बीमा कंपनियों की मनमानी से त्रस्त हैं किसान

कहने को तो सरकार, फसलों के नुकसान से किसानों को बचाने के लिए बीमा कंपनियों के जरिए राहत दिलाने की बात करती है, लेकिन किसानों का दुखड़ा सुनने पर हकीकत कुछ और ही सामने आती है। किसानों की माने तो बिना बताए किसानों के बैंक खाते से बीमा कंपनियों द्वारा प्रीमियम काट लिया जाता है। लेकिन फसलों के नुकसान के बाद बीमा कंपनियां भुगतान करने के बजाय किसानों का शोषण करती हैं।

किसान बताते हैं कि ‘शासन-प्रशासन द्वारा बीमा कंपनियों पर नकेल ना कसने के कारण उनके हौसले बुलंद बने हुए हैं, और वह किसानों का आर्थिक शोषण करने से बाज नहीं आ रही हैं।

निष्पक्ष ढंग से नहीं होता क्षतिपूर्ति का आकलन

प्रकृति और बीमा कंपनियों के कोप के बाद किसानों को लेखपाल और पटवारी की मनमानी से भी जूझना पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं के बाद नुकसान के आकलन में लगाए गए राजस्व कर्मियों की भूमिका भी किसानों के लिए किसी शोषण से कम नहीं होती है। किसानों की माने तो क्षतिपूर्ति का सही आकलन नहीं कर इसमें भी जबरदस्त खेल किया जाता है। प्रकृति की मार के बाद किसानों को पटवारी रूपी अधिकारियों की भी मार सहनी पड़ती है।

हालांकि जिले में बारिश और ओलावृष्टि के बाद हुए नुकसान के आकलन के लिए जिलाधिकारी आलोक कुमार सिंह ने टीम का गठन किया है। जिलाधिकारी ने राजस्व व कृषि विभाग एवं फसल बीमा कम्पनी की संयुक्त टीम बना कर जल्द रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि बारिश और ओलावृष्टि के कारण जिन भी किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है। उसकी रिपोर्ट दें, जिससे किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके।

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