वाराणसी: दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के पहले विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद किया और हाल-चाल भी पूछा। रामनगर निवासी शांति देवी पीएम से बात कर भावुक नजर आईं। उन्होंने बताया कि बेटे मनोज की मौत नौ साल पहले और पति बलदेव की मौत डेढ़ साल पहले हो गई थी। बेटे और फिर पति की मौत के बाद रो-रोकर उनकी आंखें खराब हो गई थीं, जिसे अब प्रधानमंत्री के कारण नई ज्योति मिल गई है। वे अब आगे का जीवन आसानी से जी सकेंगी। वह गरीबी के कारण मोतियाबिंद का ऑपरेशन तक नहीं करा पा रही थी। कुछ इसी तरह की कहानी बृजमोहन की भी है।
वह ठेला पर पानी-पूड़ी बेचकर परिवार का खर्च चलाते हैं। वह अपना चश्मा नहीं बनवा पा रहे थे कि अस्पताल जाने पर पूरा दिन चला जाएगा और वे ठेला नहीं लगा पाएंगे।मैं पानी पूड़ी बेचकर अपना परिवार चलाता हूं। मैंने कभी जीवन में कल्पना भी नहीं की थी कि मैं भी कभी प्रधानमंत्री के सामने खड़ा हो पाऊंगा। लेकिन, आज मेरे साथ ऐसा हुआ, जो किसी स्वप्न से कम नहीं है। प्रधानमंत्री मुझसे बात किए, हालचाल और मेरे व्यवसाय के भी बारे में जानकारी हासिल किए। मैंने भी बताया कि मैं पानी-पूड़ी बेचता हूं। उन्होंने मुझे चश्मा देते हुए अभिभावक की तरह सहेजा भी कि अब ये चश्मा पहना करो, ठेला लेे जाने में दिक्कत नहीं होगी। मैं पीएम से मिलकर धन्य हो गया।
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