अब सुप्रीम कोर्ट की इजाजत बिना ध्वस्त नहीं होंगे रैन बसेरे

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रैन बसेरे को लेकर बड़ा आदेश जारी किया। अब सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बिना अब एक भी रैन बसेरे को धवस्त नहीं किया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली अर्बन शेल्टर्स इम्प्रोवमेंट बोर्ड को आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से डीडीए, डूसिब, दिल्ली पुलिस और एनसीटीडी में कार्यरत अन्य सभी प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वह आश्रयों को ध्वस्त न करें। सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और इंदु प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त की पीठ ने गीता घाट पर तीन अस्थायी रैन बसेरों से संबंधित सुनवाई करते हुए कहा कि जो विशेष कैटेगरी के बेघरों जैसे कि टीबी, हड्डियों से संबंधित विकलांगता से पीड़ित और मानसिक स्वास्थ्य दिक्कतों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बनाये गए है, इनको मद्देनजर, डूसिब, दिल्ली पुलिस और डीडीए और एनसीटीडी में काम कर रहे अन्य सभी प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि गीता घाट पर वर्तमान में चल रहे तीन रैन बसेरों और किसी भी अन्य अस्थायी आश्रय को इस अदालत से सम्पर्क किये बिना ध्वस्त न करें।

कोर्ट ने शुरू में तीन आश्रयों के संबंध में अपना आदेश पारित किया था। पर वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में 111 से अधिक अस्थायी रैन बसेरे मौजूद हैं और तब अपने आदेश में ”कोई अन्य अस्थायी रैन बसेरे को’ जोड़ दिया।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने डूसिब के हलफनामे से उल्लेखित किया कि उसने याचिका के लंबित रहने के दौरान आठ और अस्थायी आश्रयों को ध्वस्त किया गया है। और प्राधिकारियों के पास ध्वस्त किए गए आश्रय की जगह कोई नया अस्थायी आश्रय स्थल बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

इस बीच, पीठ ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कैलाश गंभीर की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का जिक्र किया। जिसमें विभिन्न रैन बसेरों स्थायी और अस्थायी दोनों के विस्तृत निरीक्षण के बाद, समिति ने पाया कि बुनियादी सुविधाएं जैसे पर्याप्त लॉकर, कंबल, चादर और रोशनी का प्रावधान, वेक्टर नियंत्रण, उचित वेंटिलेशन, प्राथमिक चिकित्सा किट, गद्दा, बिस्तर, तकिए, रसोई की सुविधा और पीने के पानी की कमी का जिक्र किया गया है। इसमें दावा किया गया है कि स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के रैन बसेरों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

डूसिब को दिल्ली पुलिस, डीडीए या किसी अन्य एजेंसी के कहने पर ध्वस्त किए गए आश्रयों के बदले में वैकल्पिक आश्रयों के निर्माण के बारे में अगले छह सप्ताह में योजना तैयार करने और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य स्तरीय शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी को दिल्ली के सभी रैन बसेरे के ऑडिट का आदेश दिया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य स्तरीय शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी से सुप्रीम कोर्ट में ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा गया है।

राज्य स्तरीय शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य इंदु प्रकाश सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बेघरों के साथ हो रहे घोर अन्याय को रोक है। कोर्ट के आदेशों पर ही बने शेल्टरो हो प्रशासन ने तोड़ा है। सर्वोच्च न्यायालय ने डूसिब को और सभी विभागों को एक सबक दिया है कि अपने पावर का गलत उपयोग ना करें। ये सबक है गरीबों के अधिकारों का हनन करने वालों के लिए। शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी जल्द ध्वस्त किए गए रैन बसेरे के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट भेजेंगी। मॉनिटरिंग कमेटी ध्वस्त किए गए रैन बसेरों के आसपास के सभी रैन बसेरों का दौरा करेगी और ध्वस्त किए गए रैन बसेरों में रह रहे लोगों को कहा शिफ्ट किया है वो जानकारी लेंगे। सराय काले खां स्थित रैन बसेरे को ध्वस्त किया इससे पहले भी मीटिंग में इसके विध्वंस का विरोध जताया था। पर उस समय शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी की बातों को अनसुना किया गया। आज सर्वोच्च न्यायालय ने शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी को इसका रिपोर्ट देने को कहा है। ये देश की सभी राज्य स्तरीय शेल्टर मॉनिटरिंग कमेटी के बडी बात है। मॉनिटरिंग कमेटी जल्द ही इसका रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को देगी।

उन्होंने आगे कहा कि इस देश में कम से कम सुप्रीम कोर्ट हैं, अन्यथा यह घोर अन्याय थमता नहीं। सरकार गरीबों के पक्ष को लेकर उदासीन ही नही, बल्कि आक्रामक हैं। एलजी और डूसिब का बस चलता तो सारे आश्रय गृह ध्वस्त कर देते। ईश्वर ने, हमारे संविधान, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति और हमारे वकील: प्रशांत भूषण, चेरिल डसौजा, ई आर कुमार, अमिता जोसेफ और कई साथियों ने हमारी पीड़ा सुनी और उसको कम करने की दिशा में, हमारा साथ दिया। हम लोग हार मानने वालो में से नहीं है। अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे।

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