देहरादून। राज्य के 24 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को 1 अप्रैल से मंहगाई का एक और झटका लगने जा रहा है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 9.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। वहीं 4 लाख बीपीएल उपभोक्ताओं की बिजली दरों में पांच साल के बाद 10 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला व सदस्य तकनीकी एम0 के0 जैन ने बताया कि जनसुनवाई के बाद उन्होंने फिक्स चार्ज में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। तीनों ऊर्जा निगमों (यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल) ने कुल 28.57 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, जिसके सापेक्ष आयोग ने 9.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय टैरिफ नीति के अनुसार आपूर्ति की औसत लागत से 20 प्रतिशत पर क्रॉस सब्सिडी रखने के लिए बढ़ोतरी की गई है। इस टैरिफ बढ़ोतरी के बाद घरेलू श्रेणी की क्रॉस सब्सिडी 19.8 से 20 प्रतिशत तक पहुंच रही है। प्रदेश के करीब 7000 मत्स्य पालक अभी तक व्यावसायिक श्रेणी में आते थे। आयोग ने पहली बार इन्हें कृषि श्रेणी में शामिल कर लिया है।
उसी हिसाब से उन्हें बिजली के कनेक्शन देकर वापस बिल लिए जाएंगे। कमर्शियल से कृषि बनने पर इन मत्स्य पालकों को हर साल 60-80 हजार रुपये की बचत होगी।
वहीं नियामक आयोग ने बिजली बिल 10 दिन के भीतर जमा करने वालों को कुछ राहत दी है। डिजिटल भुगतान करने वालों को अब 1.25 प्रतिशत के बजाए 1.50 प्रतिशत छूट मिलेगी। अन्य माध्यमों से 10 दिन के भीतर बिल जमा करने वालों को अब 0.75 प्रतिशत के बजाए 1 प्रतिशत की छूट मिलेगी। आयोग के मुताबिक इससे उपभोक्ताओं को करीब 18 प्रतिशत प्रति वर्ष का लाभ मिलेगा। हालांकि ऑनलाइन बिल का भुगतान 80 फीसदी हो चुका है।
वहीं अब घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने बिजली का बिल भेजा जायेगा। जबकि अभी तक व्यवसायिक बिल प्रत्येक महीने तथा घरेलू बिल दो महीने में आता है। लेकिन अब बिजली महंगी हो जाने के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को दो महीेन का बिल भुगतान करना भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। इसलिए आयेाग ने घरेलू बिल भी एक महीने में देने का फैसला लिया है।
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