मसूड़ों, होठ, जीभ पर सफेद चकत्ते कैंसर के लक्षण, विशेषज्ञों ने किया आगाह

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

रिपोर्ट

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में ट्रिपल ओ सिंपोजियम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय दंत चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष प्रो. दिव्येंदु मजूमदार ने किया। देश भर से करीब 500 डेंटिस्ट इस कांफ्रेंस में पहुंचे हैं। इसमें माउथ कैंसर को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने कुछ महीने से मुंह के अंदर मसूड़ों, होठ, जीभ अथवा गाल पर सफेद चकत्ते पड़ने, खाने-पीने में दर्द अथवा जलन को माउथ कैंसर की शुरुआत बताया। इसे समय रहते पहचान कर डेंटिस्ट के पास पहुंचे तो इलाज कर ठीक किया जा सकता है। यही नहीं यह लेजर मेथड से बिना चीर-फाड़ के ठीक भी किया जा सकता है। फेस भी खराब नहीं होता। इसके लिए IMS-BHU के ट्रॉमा सेंटर स्थित डेंटल फैकल्टी में CBCT मशीन भी आ गई है।

बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर स्थित डेंटल फैकल्टी में ओरल मेडिसीन, रेडियोलॉजी और मॉक्सिलोफेशियल सर्जरी, ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रो बायोलॉजी विषय पर 20वें नेशनल ट्रिपल ओ सिंपोजियम में दो दिनों तक डेंटल डिजीज और इलाज विधि को लेकर चर्चा होगी। फैकल्टी ऑफ डेंटल सांइस के डीन प्रो. विनय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस तरह की संगोष्ठी विभाग में पहली बार हो रही है। कहा कि अस्पताल में इलाज के लिए 45 डेंटल चेयर्स और एक CBCT मशीन लाई गई है। इनकी कीमत करोड़ों में है। यह बहुत जल्द ही अस्पताल में काम करना शुरू कर देगी। BHU में काफी समय से डेंटल चेयर्स आईं ही नहीं थी। अब मरीजों के इलाज और केयर के साथ छात्र-छात्राओं को सीखने में काफी मदद होगी। वहीं, CBCT मशीन द्वारा ट्यूमर, सिस्ट, माउथ कैंसर की जांच और पहचान में काफी मदद मिलेगी। उनके इलाज में काफी आसानी होगी। कम पैसे में रोगियों को मिलेगी बेहतर थेरेपी आयोजन के चेयरमैन प्रो. आदित ने कहा कि TTT यानी कि ट्रेडिशन, ट्रेंड और टेक्निक, ही इस पूरे कार्यक्रम की थीम है। कोशिश है कि परंपरागत जांच और तकनीक के साथ ही नए आविष्कार और एडवांस टेक्निक को मिलाकर रोगियों को कम से कम पैसे में ज्यादा बेहतर थेरेपी दे सकें।

OPD में आकर कराते रहें रूटीन चेकअप

डेंटल फैकल्टी की डॉक्टर सौम्या शुक्ला ने बताया कि यदि आपको कोई दिक्कत नहीं है तो भी डेंटिस्ट के पास जाकर OPD में रूटीन चेकअप करा सकते हैं। यह काफी सस्ता है। यदि आपको डिटेक्ट होता है तो हम उसका इलाज दो तरीके से करते हैं। मेडिसिनल और लेजर तकनीक से सेशन वाइज इलाज किया जाता है। इससे आउटकम बेहतर होता है। लेजर यह बताता है कि मुंह में कहां-कहां पर संक्रमण है और दवा का कितना इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

एक मंच पर आए तीन विषयों के एक्सपर्ट

प्रो. राहुल अग्रवाल ने बताया कि ट्रिपल ओ सिंपोजियम का अर्थ है ओरल मेडिसीन, ओरल सर्जरी, और ओरल पैथोलॉजी तीनों विषयों के एक्सपर्ट्स का एक मंच पर सामूहिक मंथन। अपनी परेशानियां और सुझाव आदि दे पाएंगे।

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