आरआरटीएस कॉरिडोर के दिल्ली सेक्शन की पहली सुरंग का ब्रेकथ्रू सम्पन्न

Iनई दिल्ली: एनसीआरटीसी ने दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के दिल्ली सेक्शन के पहले टनल ब्रेकथ्रू को सफलतापूर्वक हासिल किया। टनल बोरिंग मशीन सुदर्शन 4.1 ने दिल्ली के खिचड़ीपुर में निर्मित टनल रिट्रीवल शाफ्ट पर ब्रेकथ्रू किया।

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव मनोज जोशी ने एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह की उपस्थिति में लीवर के माध्यम से ब्रेकथ्रू की प्रक्रिया की शुरुआत की। इस अवसर पर एनसीआरटीसी के सभी निदेशक, अन्य वरिष्ठ अधिकारी और कॉन्ट्रैक्टर आदि उपस्थित थे।

दिल्ली सेक्शन के पहले टीबीएम, सुदर्शन 4.1 को जनवरी 2022 में आनंद विहार से खिचड़ीपुर के बीच टनल निर्माण के लिए आनंद विहार में बनाए गए लॉन्चिंग शाफ्ट में उतारा गया था। यह आरआरटीएस टनल किसी भी टनल बोरिंग मशीन द्वारा निर्मित दिल्ली की सबसे लंबी टनल है और इसकी लंबाई लगभग 3 किलोमीटर है। आरआरटीएस टनलों का व्यास 6.5 मीटर है जो 180 किमी प्रति घंटे की समान डिजाइन गति के साथ चौड़े एवं ऊँचे रोलिंग स्टॉक के लिए विश्व में निर्मित अन्य टनलों के वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में काफी अनुकूलित है।

82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए, दोनों दिशाओं में आवागमन के लिए दिल्ली में कुल 4 टनलों का निर्माण किया जा रहा है। आनंद विहार से खिचड़ीपुर के बीच न्यू अशोक आरआरटीएस स्टेशन की ओर लगभग 3 किमी लंबी दो समानांतर टनलें और आनंद विहार से वैशाली के बीच साहिबाबाद आरआरटीएस स्टेशन की ओर लगभग 2 किमी लंबी 2 समानांतर टनलें निर्मित की जा रही हैं।

आनंद विहार से खिचड़ीपुर तक निर्मित, दिल्ली सेक्शन में यह पहली टनल है जिसका निर्माण पूरा किया गया है। दूसरी टीबीएम, ‘सुदर्शन 4.2’ ने इसी दिशा में 2.5 किलोमीटर से ज्यादा की टनल बनाने का काम पूरा कर लिया है। वहीं सुदर्शन 4.3 व 4.4 जो आनंद विहार से साहिबाबाद की दिशा में टनल बोर कर रही हैं, क्रमश: लगभग 1.5 किलोमीटर व 1 किलोमीटर का निर्माण कार्य पूरा कर चुकी हैं।

इस सचिव मनोज जोशी ने एनसीआरटीसी टीम को बधाई देते हुए कहा, “आरआरटीएस का उद्देश्य एनसीआर में क्षेत्रीय गतिशीलता को सुगम एवं सुलभ बनाना है जिससे सड़कों पर वाहनों की भीड़भाड़ एवं वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन, आरआरटीएस की योजना और कार्यान्वयन का मूल सिद्धांत रहा है। मुझे विश्वास है कि यह परियोजना एनसीआर में जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

 एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने कहा, “इस सेक्शन में टनलिंग के कार्य को पूरा करने के लिए मैं एनसीआरटीसी के इंजीनियरों के साथ-साथ हमारे कंस्ट्रक्शन पार्टनर्स को भी बधाई देता हूं, जोकि एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य था। न्यू अशोक नगर की ओर बढ़ते हुए यह टनल मौजूदा मेट्रो स्टेशन के पाइलिंग ढांचों के अलावा एक्सप्रेस-वे और पटपड़गंज और खिचड़ीपुर में नॉन-इंजीनियर्ड इमारतों के नींव से भी बहुत करीब से गुजर रही है। एनसीआरटीसी ने आरंभ से ही, निर्माण कार्यों में आसानी के बजाय यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता दी है। सराय काले खाँ और आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन व्यापक मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के उदाहरण हैं जो भारतीय रेलवे, आईएसबीटी, सिटी बस के साथ-साथ मेट्रो स्टेशनों के साथ निर्बाध ट्रांसफर को सक्षम बनाएंगे। “

3 किलोमीटर लंबी दिल्ली की इस पहली आरआरटीएस टनल के निर्माण के लिए 14000 से अधिक हाई-प्रीसीशन वाले प्री-कास्ट टनल सेगमेंट्स का उपयोग किया गया है जो टनल का लंबा जीवन-काल सुनिश्चित करेगी। दिल्ली सेक्शन के टनल सेगमेंट्स की कास्टिंग दिल्ली के कड़कड़डूमा में स्थापित एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में की जा रही है।

एनसीआरटीसी का लक्ष्य है कि 2025 तक पूरे 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ को जनता के आवागमन लिए आरंभ कर दिया जाए। इससे पहले, जल्द ही साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किलोमीटर लंबे प्रायोरिटी सेक्शन को निर्धारित समय से पहले ही परिचालित कर दिया जाएगा।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More