हजारीबाग वन प्रमंडल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जंगलों में आग की लपटे लगी हुई थी।बताया जाता है कि संतुरपी और तुकतुको जंगलों में काफी तेज गति से आग की लपटें जंगल की ओर बढ़ रही थी। तभी प्रत्येक दिन की तरह तुकतुको वन गश्ती दल के द्वारा गस्त के क्रम में देखा गया। उसके बाद ग्रामीणों को सूचना दी गई। ग्रामीण महिला पुरुषों द्वारा जंगल जा कर आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया। उधर वन विभाग के अधिकारियों को भी सूचना दे दी गई। सूचना मिलते ही वनरक्षी हिरामन कुमार और डिलो दास जंगल पहुंचे, वहाँ देखा कि आग लगी हुई थी। ग्रामीणों के द्वारा तीन चार घण्टे कड़ी मशक्कत एवं मेहनत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। बता दें कि ग्रामीणों के पास कोई साधन नहीं था, फिर भी जैसे तैसे झाडू, डण्डा आदि से ग्रामीणों के प्रयास से आग पर काबू पाया जा सका,अन्यथा विभिन्न जीव जंतुओं की हरे भरे जंगलों की आश्रयण जल कर राख हो सकती थी। ग्रामीणों ने बताया कि वन बचाने के लिए वे दृढ संकल्पित हैं। इसे लेकर गाँव में कई वर्षो से वन बचाव समिति भी संचालित है। जिससे वन गश्ती दल के द्वारा वनों की रक्षा की जाती है और समय समय पर देख भाल और रख रखाव पर ध्यान दिया जाता है। जिसके कारण आज इस क्षेत्र के जंगल में कई तरह के पेड पौधें है।साथ ही कई तरह के वन प्राणी जंगलों में आज भी हैं।जो समय समय पर आवाज देते है जिससे सुहाना प्रतीत होता है।आग पर काबू पाने में इन वन समितियों की अहम भूमिका रही है।मौके पर अध्यक्ष भुनेश्वर महतों, संतुरपी सीमा क्षेत्र में निर्मल महतो,पवन महतो टाईटल गार्ड भोला महतो,हेमंती देवी, चमेली देवी,गायत्री देवी,लीलावती देवी, पूनम देवी,टाईटल गार्ड तेज नारायण पासवान आदि शामिल थे।
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