लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चौथे स्तंभ एवं लोकतंत्र के रक्षक को अवगत एवं सूचित करवाने के लिए यह प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है कि राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस एवं वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र के कार्यान्वयन में परिवहन विभाग की संपूर्ण विफलता से उत्तर प्रदेश राज्य की आम जनता को काफी असुविधा एवं कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि परिवहन विभाग की DL सर्विसेस ऑनलाइन उपलब्ध हैं, मगर उत्तर प्रदेश के लोगों को अपनी शिकायतों का समाधान न होने पर आरटीओ कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्रों की छपाई पूरी तरह से बंद होकर ठप्प पड़ी है जिससे राज्य में विभिन्न आरटीओ में दो लाख से अधिक DL कार्ड पेंडिंग हैं। प्रमाण के तौर पर प्रमुख समाचार पत्रों में इस संबंध में प्रकाशित समाचार लेख संलग्न हैं। (समाचार लेखों की प्रतियां संलग्न हैं)। अनेक मामलों में DL कार्ड की छपाई में 1 माह से अधिक देरी हो रही है। परिवहन विभाग द्वारा प्रदाता कंपनी मैसर्स स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड के साथ निष्पादित अनुबंध शर्तों के अनुसार आवेदन करने के 1 सप्ताह में DL उपलब्ध कराया जाना है जबकि घटनाक्रम उसके ठीक विपरीत है।
समय पर DL उपलब्ध करवाने में सर्विस प्रदाता पूरी तरह विफल है, इससे उत्तर प्रदेश के लोगों को भारी असुविधा और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।उत्तर प्रदेश का परिवहन विभाग लोगों की असुविधा और कठिनाई पर उचित ध्यान देने के बजाय सर्विस प्रदाता कंपनी (स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड) को DL बनाने में देरी और उनके अनुबंध केंसल करने के दंड से उन्हें बचाने के हर संभव प्रयास कर रहा है। उनके आचरण से लगता है मानो परिवहन विभाग की सर्विस प्रदाता से मिलीभगत और साठगांठ हो।
वास्तव में परिवहन विभाग का रूख विरोधाभासी रहा है; कभी कहा जाता है कि पेंडेंसी का कारण इंटरनेट का उपलब्ध न होना है, कभी पेंडेंसी का कारण अनुमोदन में देरी या स्मार्ट कार्ड चिप का उपलब्ध न होना बताया जाता है। मैसर्स स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड की अत्यधिक देरी और संपूर्ण विफलता देखते हुए जो भी हो, उत्तर प्रदेश के लोगों को यथासमय DL उपलब्ध करवाने के लिए, परिवहन विभाग या तो लागू जुर्माना वसूले या उत्तर प्रदेश राज्य में भविष्य की निविदाओं में भाग लेने के लिए ऐसे दोषी सर्विस प्रदाता पर रोक लगाए।
सच तो यह है कि मैसर्स स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पंजाब में भी जहां इसने ऐसा ही प्रोजेक्ट लागू किया, DL उपलब्ध करवाने में पूरी तरह विफल है, यहां राज्य के विभिन्न आरटीओ में 2 लाख से अधिक कार्ड पेंडिंग होने से लोगों को काफी असुविधा और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। (समाचार लेखों की प्रतियां संलग्न हैं।
वास्तव में, मैसर्स स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड द्वारा DL/VRC के वितरण में बारंबार विफलता से आम जनता को भारी असुविधा और कठिनाई का सामना करना पड़ा जिससे पंजाब राज्य के परिवहन विभाग ने शर्मसार होकर कार्रवाई करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया कि अनुबंध क्यों न समाप्त किया जाए और पंजाब सरकार के किसी भी प्रोजेक्ट में भाग लेने से इसे ब्लैक लिस्ट क्यों न किया जाए। कारण बताओ नोटिस की प्रति संलग्न है।
DL प्रोजेक्ट लागू करते समय ऐसी सहायक कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी भी राज्य में भ्रष्ट और धोखाधड़ी प्रक्रियाओं में लिप्त पाए गए हैं। इस संबंध में, एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्र ने समाचार लेख में इसका उल्लेख किया है कि कर्मचारियों/ स्टाफ को यथासमय वेतन का भुगतान नहीं किया जाता, जिससे अपने वाहनों के पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आने वाली आम जनता से ऐसे कर्मचारी/ स्टाफ खुद को सरकारी अधिकारी बताकर, सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर और हस्तक्षेप करने के अलावा उन्हें धमकी देकर अवैध धन वसूलते हैं।
इससे स्पष्ट है कि उक्त कंपनी हर तरह से भ्रष्ट आचरण में लिप्त है और इनकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। समाचार लेखों की प्रति संलग्न है।उल्लेखनीय है कि मैसर्स “स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड” वही कंपनी है जो 2018 की सिविल रिट याचिका संख्या 15421 में पंजाब सरकार के परिवहन विभाग के साथ गंभीर मुकदमेबाजी में शामिल थी, इसने पंजाब राज्य में अत्यधिक उच्च दरों पर अनाधिकृत और अवैध एक्सटेंशन की सार्वजनिक खरीद प्रक्रिया में हेरफेर कर प्रोजेक्ट हासिल किया जिसका DL/VRC अनुबंध परिवहन विभाग ने केंसल कर दिया था।
निवेदन है कि उत्तर प्रदेश राज्य में प्रोजेक्ट लागू करने वाली कंपनी मैसर्स स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड की साख सर्वविदित है।माननीय उच्च न्यायालय पंजाब और हरियाणा के समक्ष एक जनहित याचिका में कंपनी के स्मार्ट कार्ड आधारित DL/VRC एक्सटेंशन को कंपनी की भ्रष्ट और धोखाधड़ी प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए चुनौती दी गई, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुार, राज्य की जांच रिपोर्ट प्रकाश आई, जिसमें बताया गया कि पंजाब राज्य के मुख्य सचिव ने पाया है कि पक्षपात के इरादे से मैसर्स स्मार्ट चिप को DL/VRC प्रोजेक्ट का अवैध और धोखाधड़ी से एक्सटेंशन दिया गया।
DL/VRC प्रोजेक्ट का एक्सटेंशन जून 2018 में राज्य परिवहन प्राधिकरण, पंजाब सरकार ने केंसल कर दिया था। पहले से ही अनेक कैग रिपोर्टें हैं और सक्षम अधिकारियों द्वारा स्मार्ट चिप को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं, जिससे इसकी अवैध और कपटपूर्ण गतिविधियों का पता चलता है। यह बताना भी उचित होगा कि मैसर्स स्मार्ट चिप की मूल कंपनी के पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन देशों में कारोबार हैं। उत्तर प्रदेश राज्य आतंकवादी गतिविधियों के प्रति संवेदनशील रहा है, इसे ध्यान में रखते हुए ऐसी कंपनी को राज्य में वाहनों के डेटा तक एक्सेस की अनुमति देना राज्य के साथ-साथ पूरे देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ- मीडिया के माध्यम से, उत्तर प्रदेश के लोगों की शिकायतों का निवारण सुनिश्चित करने का मैं अनुरोध करता हूं कि:सर्वप्रथम, अनुबंध की शर्तों के अनुसार DL बनाने में देरी के लिए परिवहन विभाग द्वारा सर्विस प्रदाता पर तुरंत जुर्माना लगाया जाए और अत्यधिक विलंब के लिए उनके द्वारा देय जुर्माना राशि का आम जनता को भुगतान कर मुआवजा दें, और;दूसरे, ऐसे दोषी सर्विस प्रदाता का अनुबंध तुरंत केंसल करने पर परिवहन विभाग विचार करे जिससे DL कार्डों के लंबे समय तक पेंडिंग रहने के कारण आम जनता को होने वाली असुविधा और कठिनाई से बचाया जा सके।
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