रैन बसेरों में बेघरों को मिलने वाला खाना दिल्ली सरकार ने फिर किया बंद, हजारों बेघर भूखे पेट रहने को मजबूर

नई दिल्ली: कोरोनाकाल से ही दिल्ली के रैन बसेरे में रह रहे बेघर लोगों को दोनो टाईम खाना मिलता था, परंतु आज अचानक से दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड ने रैन बसेरे में रह रहे बेघर लोगों को मिलने वाला खाना बंद कर दिया है। जिसके चलते हजारों बेघरों को सुबह से भूखा रहना पड़ा। खाने की तलाश में लोगो को इधर उधर भटकने को मजबूर होना पड़ा।

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के 197 कार्यरत रैन बसेरे में 6000 आस पास लोग आश्रय लेते हैं। जिनमें बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और पुरुष शामिल हैं। रैन बसेरे में रहते कई बेघर बेरोजगार है तो कई शारीरिक रूप से काम करने में अक्षम है। वही कुछ लोग कूड़ा चुनके अपना भरण पोषण करने मजबूर है। अगर साफ शब्दों में कहें तो ज्यादातर बेघर अपने जीवनयापन करने में भी कड़ी मसक्कत करते हैं। ऐसी स्थिति में इन बेघरों को मिलने वाला खाना भी सरकार बंद करे तो अमानवीयता लगती हैं।

राष्ट्रीय जजमेंट को सूत्रों से पता चला है कि डूसिब द्वारा समय पर बिल का भुगतान ना करने के कारण अक्षयपात्र द्वारा खाना देना बंद किया गया है। इससे पहले भी पिछले साल 16 सितंबर को रैन बसेरे में मिलने वाला खाना बंद किया था। तभी राष्ट्रीय जजमेंट मिडिया ग्रुप ने इस मामले को प्राथमिकता से कवर किया था। तो दो दिन में पुनः बेघरों को खाना मिलना शुरु हुआ था। तब भी डूसिब द्वारा पेमेंट समय पर ना भूगतान करने के कारण ही बंद किया गया था। सूत्रों से पता चला है कि अभी भी अक्षयपात्र का करीब आठ करोड़ रूपए पेंडिंग है जिसके चलते खाना बंद हुआ हो सकता है। अगर डूसिब भुगतान करे तो अक्षयपात्र वापिस खिलाना शुरू भी कर सकती है।

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के मेंबर एक्सपर्ट बिपिन राय ने कहा कि बेघरों को रैन बसेरे में मिलने वाला खाना कोरोनकाल के चलते शुरू हुआ था परंतु अभी स्थिति सामान्य है। ओर रैन बसेरे में खाना मुहैया करा रही संस्था अक्षयपात्र मिड डे मील भी देती है जिसके कारण इनके पर वर्कलोड था, वे संस्था ने भी अपनी सेवा बंद करने की इच्छा जताई थी। इस पर विभाग कार्य कर रहा हैं। ज्यादा समस्या आयेगी तो बेघरों के भोजन के लिए नया टेंडर निकाला जाएगा। जब अक्षयपात्र का करीब आठ करोड़ रूपए पेंडिंग के चलते खाना बंद होने पर पूछा तो राय ने बताया की भूगतान बाकी होने के कारण भोजन बंद नहीं हुआ है।

डूसिब सीईओ गरीमा गुप्ता को भी रैन बसेरे में मिलने वाला खाना बंद होने पर कई सवाल पूछे पर उनके द्वारा किसी प्रकार की जानकारी साझा नही की गई।

अक्षयपात्र ने अपने बयान में कहा कि भोजन की लागत का लगभग 60% डूसिब और 40% अक्षयपात्र अपने दाताओं के माध्यम से लेता था। पर कॉविड के बाद अक्षयपात्र को सहायता में आई कमी के चलते संस्था ने खाना रोकने का अनुरोध किया है। अगर स्थिति में सुधार होगा तो जल्द रैन बसेरे में भोजन देना शुरु किया जायेगा।

सुप्रीम कोर्ट मोनिटरिंग कमिटी के सदस्य इंदु प्रकाश सिंह ने कहा की यह सरासर गलत हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सीईओ की तरफ से बेघर को मिलने वाले खाने को बंद करने की पैरवी की मैं घोर निंदा करता हूं। ये एक अमानवीय कदम हैं। मैं इसके लिए में डूसिब को दोषी मानता हूं। पहले उन्होंने बेघारो के नौ शेल्टर्स को ध्वस्त कर दिया और खाना बंद कर दिया। ये अमानवीय है। दिल्ली में लॉकडाउन घोषित होने से दो दिन पहले से भोजन की व्यवस्था शुरू कर दी थी। डूसिब समय पर भुगतान नहीं करता है, जिससे अक्षयपात्र को भोजन देना बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मैं इसके लिए डूसिब और उसके अधिकारियों की कड़ी निंदा करता हूं। भोजन मिलना जल्द से जल्द शुरु होना चाहिए।

सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट-सीएचडी के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार आलेडिया ने कहा कि इस तरह से तत्काल प्रभाव से भोजन देना बंद करना गलत है। बेघर साथियों को भोजन मिलना तुरंत शुरु होना चाहिए।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली सरकार द्वारा डयूसिब के रैन बसेरों में बेघर बेसहारों को दी जाने वाली भोजन सुविधा वापस लेने की निंदा की। और कहा कि केजरीवाल सरकार बार-बार कुछ रैन बसेरों को बंद करने की कोशिश कर रही है और पिछले एक साल में यह दूसरी बार है कि केजरीवाल सरकार ने इन रैन बसेरों में रहने वाले बेसहारा लोगों के लिए भोजन की सुविधा के लिए अपनी धनराशि को रोक दिया है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि यह चौंकाने वाली बात है कि एक मुख्यमंत्री जो अपने घर के जीर्णोद्धार और घर में स्विमिंग पूल के निर्माण पर लगभग 55 करोड़ रुपये खर्च करता है, कुछ लाख रुपये महीने की लागत से बेसहारा लोगों के लिए भोजन सुविधा और रैन बसेरों को बंद करना चाहता है।

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