नीरजपाराशर आचारय:
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* जय श्री राधे *
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-27/04/2023, गुरुवार
सप्तमी, शुक्ल पक्ष,
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———— सप्तमी13:38:07 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———–पुनर्वसु 06:58:31
योग————– धृति 08:45:36
करण———– वणिज 13:38:06
करण——–विष्टि भद्र 26:48:50
वार———————– गुरूवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत————— 2080
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत——————1945
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:45:02
सूर्यास्त—————- 18:49:07
दिन काल————- 13:04:05
रात्री काल————- 10:55:02
चंद्रोदय—————- 11:14:02
चंद्रास्त—————- 25:32:14
लग्न—- मेष 12°19′ , 12°19′
सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र——————पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत
??? पद, चरण ???
ही—- पुनर्वसु 06:58:31
हु—- पुष्य 13:40:56
हे—- पुष्य 20:24:04
हो—- पुष्य 27:07:42
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मेष 12 : 59 अश्विनी , 4 ला
चन्द्र=कर्क 02:56 , पुनर्वसु, 4 ही
बुध =मेष 20°: 34′ भरणी’ , 3 ले
शुक्र=वृषभ 24°05, मृगशिरा ‘ 1 वे
मंगल=मिथुन 24°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 1 के
गुरु=मेष 01°30 ‘ अश्विनी , 1 चू
शनि=कुम्भ 10°13 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मेष 09°50 अश्विनी , 4 ला
केतु=(व) तुला 09°50 स्वाति , 2 रे
??? शुभा$शुभ मुहूर्त ???
राहू काल 13:55 – 15:33 अशुभ
यम घंटा 05:45 – 07:23 अशुभ
गुली काल 09:01 – 10:39 अशुभ
अभिजित 11:51 – 12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 10:06 – 10:59 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:20 – 16:12 अशुभ
वर्ज्यम 15:55 – 17:43 अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:45 – 07:23 शुभ
रोग 07:23 – 09:01 अशुभ
उद्वेग 09:01 – 10:39 अशुभ
चर 10:39 – 12:17 शुभ
लाभ 12:17 – 13:55 शुभ
अमृत 13:55 – 15:33 शुभ
काल 15:33 – 17:11 अशुभ
शुभ 17:11 – 18:49 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 18:49 – 20:11 शुभ
चर 20:11 – 21:33 शुभ
रोग 21:33 – 22:55 अशुभ
काल 22:55 – 24:17* अशुभ
लाभ 24:17* – 25:39* शुभ
उद्वेग 25:39* – 27:00* अशुभ
शुभ 27:00* – 28:22* शुभ
अमृत 28:22* – 29:44* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:45 – 06:50
मंगल 06:50 – 07:56
सूर्य 07:56 – 09:01
शुक्र 09:01 – 10:06
बुध 10:06 – 11:12
चन्द्र 11:12 – 12:17
शनि 12:17 – 13:22
बृहस्पति 13:22 – 14:28
मंगल 14:28 – 15:33
सूर्य 15:33 – 16:38
शुक्र 16:38 – 17:44
बुध 17:44 – 18:49
?होरा, रात
चन्द्र 18:49 – 19:44
शनि 19:44 – 20:38
बृहस्पति 20:38 – 21:33
मंगल 21:33 – 22:27
सूर्य 22:27 – 23:22
शुक्र 23:22 – 24:17
बुध 24:17* – 25:11
चन्द्र 25:11* – 26:06
शनि 26:06* – 27:00
बृहस्पति 27:00* – 27:55
मंगल 27:55* – 28:50
सूर्य 28:50* – 29:44
?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??
मेष > 04:22 से 07:02 तक
वृषभ > 07:02 से 07: 54 तक
मिथुन > 07:54 से 10:18 तक
कर्क > 10:18 से 12:16 तक
सिंह > 12:16 से 14:32 तक
कन्या > 14:32 से 16:58 तक
तुला > 16:58 से 19:06 तक
वृश्चिक > 19:06 से 21:12 तक
धनु > 21:12 से 11:18 तक
मकर > 11:18 से 00:58 तक
कुम्भ > 00:58 से 02:52 तक
मीन > 02:52 से 04:18 तक
?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
7 + 5 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
? शिव वास एवं फल -:
7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 13:26 रात्रि 26:49 तक
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
?? विशेष जानकारी ??
* सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग 6:59 से
* गंगोत्पत्ति (मतान्तर)
??? शुभ विचार ???
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