दंतेवाड़ा में वीरगति को प्राप्त जवानों को एबीवीपी ने जेएनयू में दी श्रद्धांजलि, माओवादियों का पुतला किया दहन

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली में अभाविप के कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में वीरगति को प्राप्त हुए मां भारती के वीर सपूतों को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी, एवं माओवादियों का पुतला दहन किया। परसों छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में दिल दहला देने वाली घटना में, माओवादियों द्वारा किए गए एक आईईडी विस्फोट में भारत ने अपने 10 वीर जवानों को खो दिया है। इस दुर्दांत आतंकी हमले में एक नागरिक की भी मृत्यु हुई।

एबीवीपी जेएनयू के कार्यकर्ताओं ने जेएनयू में वीरगति प्राप्त जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। जेएनयू के विभिन्न स्कूलों के सामने अभाविप ने श्रद्धांजलि सभाएं रखीं। गौरतलब है कि 2010 में, जेएनयू के अर्बन-नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के माओवादी हमले का जश्न मनाया जिसमें 76 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गये थे, उस समय भी अभाविप-जेएनयू के कार्यकर्ताओं ने उन वामपंथियों का जेएनयू में विरोध किया था। उस समय जेएनयू के अर्बन-नक्सलियों ने भारतीय रक्षा बलों की माओवादी द्वारा इस नरसंघार का सांकेतिक रूप से स्वागत किया था और सांकेतिक रूप से ही इसे ‘जनता की सेना पर जीत’ बताया था।

एबीवीपी जेएनयू के इकाई अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा कि, “दंतेवाड़ा में हुए इस आतंकी हमले की एबीवीपी जेएनयू इकाई निंदा करती हैं एवं वीरगति को प्राप्त जवानों के परिवारों को यह दुःख सहने की शक्ति प्राप्त हो, ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करती है। साथ ही साथ अभाविप इस मामले में अर्बन-नक्सलियों की चुप्पी की भी कड़े से कड़े शब्दों में विरोध करते हैं, हमें इस भारत-विरोधी विष के विरोध में एकजुट होकर खड़े होना पड़ेगा!”

अभाविप जेएनयू इकाई मंत्री विकास पटेल ने कहा, “जब भारत में नक्सलवाद के जनक चारू मजूमदार ने कहा, “चीन के अध्यक्ष माओ हमारे अध्यक्ष हैं”, तब भारतीय के कम्युनिस्टों ने भी उत्साहपूर्वक इस नारे को दोहराया था और अब भी समय समय पर दोहराते रहते हैं। भारत-चीन युद्ध में भी भारत के कम्युनिस्टों को चीन का समर्थन करते देखा गया था। 1998 में जब पोखरण का सफल परमाणु परीक्षण हुआ, तो कम्युनिस्टों ने इसे विश्व शांति के लिए खतरा बताया, लेकिन जब चीन और रूस ने परमाणु परीक्षण किए, तो कम्युनिस्टों ने उनकी सराहना की। उनका इसप्रकार का व्यवहार उनकी दोगली नीति को साफ दिखाता है। देश में माओवाद का समूल उन्मूलन होना चाहिए।”

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