कुशीनगर: रामकोला थाना क्षेत्र के माघी मठिया गांव में रहने वाले दिव्यांग शेर मोहम्मद के साथ उनके दादा सफीद, दादी मोतीरानी, पत्नी फातिमा, बेटी कुलसुम, रोकई, अमीना, आयशा और दो माह की खतीजा घर में सोई थीं। उस दौरान तेज हवा चल रही थी। धूप ज्यादा थी। घर के सामने नबीहसन की झोपड़ी थी। उसमें सूखी लकड़ियां भी रखी गई थीं।बताया जा रहा है कि वहीं से निकली आग से इनका घर जलने लगा। आग की लपटों ने तेज पछुआ हवा के चलते सड़क की दूसरी तरफ स्थित दिव्यांग शेर मोहम्मद के घर को भी अपनी चपेट में ले लिया।
घर में सो रहे शेर मोहम्मद के परिजन कुछ समझ पाते, तब तक उनके घर के बाहर बनी झोपड़ी में आग लग गई। तब तक गांव में शोर होने लगा। आग इतनी विकराल थी कि कि दूर से ही शरीर जलने लग रहा था। घर में सो रहे सभी लोग उठ गए और चीखने-पुकारने लगे। लेकिन बाहर निकलने का रास्ता बंद हो चुका था।चार बेटियां और मां एक कमरे में अंदर ही छिप गईं। शेर मोहम्मद के दादा-दादी और एक बच्ची कुलसुम दूसरे कमरे में छिप गए।
जिस कमरे में मां और बेटियां छिपी थीं उसमें सामान अधिक होने की वजह से आग कमरे में फैल गई। इसमें पांचों की जलने से मौत हो गई। उधर, दूसरे कमरे में छिपे शेर मोहम्मद के दारा-दादी और बेटी कुलसुम भी झुलस गई। गांव के लोगों ने किसी तरह से आग पर काबू पाया। तब तक शेर मोहम्मद पत्नी और चार बेटियां जलकर मर चुकी थीं। बड़ी बेटी कुलसुम तथा दादा सफीद व दादी मोतीरानी गंभीर रूप से झुलसे थे। उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया, जहां तीनों का इलाज चल रहा है।
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