मां . कितनी विशालता है इस शब्द में ..कितनी गहराई ,कितना प्यार हम सबके जीवन की धार

rashtriya judgement news

मदर्स डे मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत अमेरिका में 1914 मे एना जविस ने की। उन्होंने अपनी मां की याद मे एक कार्यक्रम रखा। मां को समर्पित करना चाहती थी। फिर उनके मन में भावनाएं की क्यों न इसे हर कोई मनाएं और धीरे-धीरे उनकी यह पहल सरकार तक पहुंची। अन्य देशों में भी यह नेशनल हॉलिडे के रूप में मनाया जाता है।भारत में एक उत्सव के रूप मे मनाया जाने लगा है।
वाकई भगवान ने अपने प्रति रूप में मां को भेजा है। बात कुछ साल पहले की है। मै सफर कर रही थी एक महिला सामने अपने बेटे को संभाल रही थी पूरे टाइम कितना तंग करता रहा। मां को कभी मारता तो कभी सामान गिराता था उस महिला ने पूरे सफर में एक मिनट भी बच्चे को नहीं छोड़ा। खुद ना कुछ खाया ना पिया। यहां तक कि उसने फोन भी नहीं उठाया पूरे टाइम में बच्चे का ही ध्यान करते रही आजकल के बच्चे हाइपरएक्टिव है। छोटे बच्चों को आप न अकेला छोड़ सकते हैं न कही ले जा सकते है। एक मां ही है, जो बच्चों को संभाल सकती है चाहे वह कैसे भी हो।
एक दूसरी घटना मुझे आज भी याद है जब मेरी करीबी रिश्तेदार जो किसी भी कीमत पर अपना जॉब नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि पैकेज अच्छा था और उसका ड्रीम जॉब उसे मिल चुका था। जिसके चलते उसने शादी काफी देर से की मगर जब उसे बच्चा हुआ तो फिर जिम्मेदारी उस पर आ गई। इतनी आसानी से अपना जॉब छोड़ दिया मानो कोई बहुत छोटी सी बात हो। एक मां बनने के बाद जीवन में इतना बदलाव आता है । सोच और व्यवहार भी कुछ हद तक बदल जाता है खुद को क्या खाना है और खुद को क्या पसंद है मां भूल ही जाती है।
मै खुद एक टीवी रिपोर्टर रही मगर बच्चे छोटे थे व संयुक्त परिवार। आए दिन एक नई परेशानी का सामना करना पडता। कई बार महसूस हुआ भावनात्मक रूप से मगर बच्चे कमजोर ना हो जाए ,उनका बचपन लौटकर नहीं आएगा इसलिए मैने काम से लंबा ब्रेक ले लिया
जो संस्कार एक मां अपने बच्चे को दे सकती है वह शायद कोई नहीं दे सकता जो प्यार समर्पण,त्याग अपने बच्चे के लिए कर सकती है शायद कोई ना कर सके। मां के लिए बहुत सारी चीजें छोटी हो जाती है। अपने बच्चे के आगे इसलिए मां को भगवान कहा जाता है।

हर रिश्ते की तुलना व्यक्ति करता है मगर कभी कोई मां की तुलना दूसरी मां से नहीं करता क्योंकि सबको अच्छी मां ही मिली है । ऐसे वेदों में 16 प्रकार की माओं का उल्लेख होता है। धाय मां(दूध पिलाने वाली),गर्भ धारण करने वाली, भोजन देने वाली, गुरु पत्नी मां, इष्ट देव की पत्नी, सौतेली मां ,सौतेली मां की बेटी, बड़ी बहन ,स्वामी की पत्नी, और नानी ,दादी,सास, भाभी, बुआ ,मामी है।
मां का प्रेम मनुष्य तक नहीं वरन जीव जंतुओं में भी होता है। एक चिड़िया अपने बच्चे को चोच से खाना खिलाती है,पंख आने के बाद ही अकेला छोडती है। बंदर हमेशा बच्चे को गोद में पकड़े रहता है। गाय अपने बच्चे को चाटती हुई नजर आती है। जीव जंतुओं में भी मां का वैसा ही प्रेम देखा गया है। जैसा हम इंसानों में होता है।
आजकल सोशल मीडिया का जमाना है उसको हर कोई अपने अपने तरीके से मनाता हैं और कोई गिफ्ट देता है मां को, तो कोई मां को समय , कोई पुरानी यादों की फोटो मां के साथ लगाता है तो कोई नई फोटो खिंचवा कर दिखाता है। कोई मां के लिए कुछ नया काम करता है ।हर कोई व्यक्ति अपनी मां से प्यार करता है आधुनिकता की होड़ में कुछ रूप बदल गए हैं मगर प्यार तो प्यार होता है।
आप सब हमेशा अपनी मां का प्यार सम्मान कीजिए क्योंकि जो मां कहती है वो कई बार हमें बहुत समय बाद समझ में आता है ।

ट्विंकल आडवाणी
बिलासपुर (छ.ग)*

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