गोरखपुर: माफिया अजीत शाही ने गुरुवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पुलिस और एसटीएफ को उसकी तलाश कई दिनों से थी। बता दें कि बुधवार को एसएसपी ने इनाम की राशि बढ़ाने के लिए आईजी के पास फाइल भेज दी थी। माफिया अजीत शाही का गैंग डी-4, वर्ष 2010 में पुलिस में रजिस्टर्ड है। माफिया के ऊपर पहला केस 1991 में मारपीट और धमकी का दर्ज हुआ था। उसके बाद शहर के कैंट, खोराबार, शाहपुर, गुलरिहा, गोरखनाथ और खामपार दिवरिया मिलाकर कुल 33 मुकदमें दर्ज हैं।
अंतिम मुकदमा वर्ष 2016 में खोराबार थाने में दर्ज हुआ था। इन मुकदमों में से कई में माफिया अजीत शाही कोर्ट से बरी भी हो चुका है।रेलवे कोऑपरेटिव बैंक में तीन मई को हुए विवाद के मामले में 12 मई को समझौता करने गए माफिया अजीत शाही व अन्य लोगों पर बैंक के सहायक सचिव धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बैंक के अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर धमकी सहित अन्य धाराओं में शाहपुर थाने में केस दर्ज कराया है। कर्मचारियों ने कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष अनिल सिंह विशेन को पूरी घटना का मास्टर माइंड बताया था और अनिल सिंह द्वारा ही अजीत शाही को बुलाने की बात कही गई थी।
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