अबरख के अवैध खनन के क्रम में खदान धंसी,दो श्रमिक दबे

rashtriya judgement news

कोडरमा। झारखंड के उत्तरी क्षेत्र में बिहार राज्य से लगे

कोडरमा जिले के पर्वतीय क्षेत्र अबरख उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।बताया जाता है कि यहां एक जमाने में सर्वोत्तम क्वालिटी के अबरख का उत्पादन किया जाता था।इन पहाड़ियों में कई अबरख की खदानें हैं।जिनपर सरकार का नियंत्रण कर लिया गया है।
साथ ही असुरक्षा की स्थिति को देखते हुए कई खदानों को बंद कर दिया गया है।बावजूद इसके अबरख के कारोबार में शामिल तस्करों द्वारा भोले भाले ग्रामीणों को इन जब तब धंसती पहाड़ों की खदानों में भेज दिया जाता है।जो अबरख की चट्टानों को तोड़ फोड़ कर उक्त खदान से बाहर निकालते हैं।इस क्रम में कई बार खदानें धंसी और कार्य कर रहे लोग मौत के मुंह में समा गए।बावजूद इसके यह सिलसिला वर्तमान समय में भी जारी है।
एक ऐसी ही घटना रविवार को गम्हरिया जंगल में संचालित अवैध माइका खदान में खनन के दौरान हुई जिसमें खदान का एक हिस्सा (चाल)धंस गयी।इसमें गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के लोकाई के छतरमार निवासी रामकुमार टुडू (28) व सोमो हांसदा (27) के दबे होने की आशंका जातायी जा रही है। हालांकि, घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।जबकि दोनों मजदूरों के दबे होने की सूचना गांव पहुंचते ही मातम पसर गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों मजदूरों को खदान से बाहर नहीं निकाला जा सका है। घटना के बाद खदान संचालक फरार हो गया है।मामला कोडरमा जिला का है।वहीं छतरमार के ग्रामीणों ने बताया कि गिरिडीह जिले के गावां और तिसरी के क्षेत्र में माइका का अवैध कारोबार पिछले कुछ माह से बंद है।इसके कारण कई मजदूर कोडरमा जिले में संचालित अवैध माइका खदानों में जाकर खनन का कार्य कर रहे हैं। वहां कोई हादसा होता है, तो अवैध कारोबारी मृतक के परिजनों को मुआवजा तो दूर शव भी गायब कर देते हैं।इधर, कोडरमा के वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी रामबाबू कुमार ने बताया कि अवैध माइका खनन के दौरान मजदूर के दबने होने की सूचना मिली है।इसको लेकर जांच के लिए टीम को भेजा गया है। यद्यपि खबर भेजे जाने तक घटना की पुष्टि किसी सक्षम पदाधिकारी द्वारा नहीं की गई थी।

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