नोएडा में फर्जी कंपनी बनाकर 15 हजार करोड़ के जीएसटी का फ्रॉड का खुलासा

Fraud of 15 thousand crore GST exposed by creating a fake company in Noida

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

रिपोर्ट – विष्णु कान्त शर्मा

नोएडा पुलिस ने ढाई हजार से अधिक फर्जी कंपनी बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक का फ्रॉड करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा किया है। आरोपियों ने पांच साल में फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी रिफंड आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगाया। कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस ने इस गिरोह में शामिल महिला समेत आठ जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं तीन सीए समेत सात आरोपी फरार हैं। जालसाजों के पास करीब साढ़े छह लाख से अधिक लोगों का पैन कार्ड, आधार कार्ड, बिजली बिल आदि का डेटा था। आरोपियों के पास से 12.60 लाख रुपये, 2660 फर्जी जीएसटी फर्म के कागजात, 32 मोबाइल और तीन कारें बरामद की गई है।

पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी कंपनी बनाने की शिकायत कोतवाली सेकटर-20 में दर्ज की गई थी। दिल्ली से गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गिरोह के सरगना दीपक मुरजानी, पत्नी विनीता, आकाश सैनी, विशाल, मोहम्मद यासीन शेख, राजीव (सीए), अतुल सेंगर और अश्वनी के रूप में हुई है। वहीं तीन सीए समेत सात आरोपी फरार हैं। इन जालसाजों ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर ऑफिस खोल रखा था। जालसाज फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी नंबर ले लेते थे और फर्जी बिल का इस्तेमाल कर जीएसटी रिफंड सरकार से प्राप्त करते थे।

पुलिस की जांच में अब तक 2660 फर्जी कंपनियों के बारे में पता चला है। इन कंपनियों में चार से पांच करोड़ का फर्जी बिल बनाकर जीएसटी रिफंड लिया जा रहा था। इस गिरोह में पचास से अधिक लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। जिसमें 12 से अधिक सीए शामिल हैं। पुलिस व जीएसटी अधिकारियों की प्राथमिक जांच में पांच साल में 15 हजार करोड़ से अधिक का फ्रॉड करने का पता चला है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि इस मामले में सेंट्रल जीएसटी, आयकर विभाग से लेकर अन्य एजेंसियों को जानकारी दी गई है। नोएडा पुलिस की टीम ने इस गिरोह का खुलासा करने के लिए दिल्ली, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ से लेकर कई राज्यों में जाकर पूछताछ की और दबिश दी।

गिरोह दो तरीके से फ्रॉड करता था। गिरोह की पहली टीम फर्जी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल आदि का इस्तेमाल कर फर्जी कंपनी बनाती थी। इसके बाद इसका जीएसटी नंबर लिया जाता था। वहीं दूसरी टीम फर्जी कंपनी के नाम पर फर्जी बिल बनवाकर जीएसटी रिफंड प्राप्त कर सरकार को चूना लगाती थी।

पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि जालसाज फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर के साथ ऑन डिमांड बेच देते थे। इन कंपनियों के नाम पर पैसे जमा कर काले धन को सफेद किया जा रहा था। पुलिस इन जालसाजों से एक से डेढ़ लाख रुपये फर्जी कंपनी खरीदने वालों की जांच में जुटी है।

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