बिच्छू और सांपो का हवाला देकर डूसिब पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, क्या और 6 रैन बसेरे को भी ध्वस्त करेगा डूसिब ?

नई दिल्ली: दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड की जिम्मेदारी बेघर लोगों के पुनर्वास कराने की और जीवन सुधार करने की है, पर डूसिब खुद ही बेघरों के हितों का भक्षक बना दिखाई देता है। डूसिब डिपार्टमेंट पहले ही जी-20 सम्मेलन के मद्देनजर सौंदर्यकरण को लेकर बीती फ़रवरी और मार्च में नौ रैन बसेरे को ध्वस्त कर जानता के लाखों रुपए बरबाद कर चुका है। फिर 6 और शेल्टर में बिच्छू और सांपो का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट पहुचा है।

डूसिब ने बीते एक वर्ष में एक भी नए रैन बसेरे का निमार्ण नही किया है पर महज सिर्फ 6 महिने में डूसिब ने नौ रैन बसेरे को ध्वस्त कर दिया है। जिनमें 15 फ़रवरी को सराय काले खां स्थित रैन बसेरा नंबर 235, और 11 मार्च को 8 रैन बसेरे, जिनका कोड नंबर 100, 115, 247, 105, 256, 257, 135, 227 को ध्वस्त कर दिया था। जिनके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया की उनकी अनुमति के बिना किसी भी शेल्टर होम को ध्वस्त ना किया जाए। अभी 6 और रैन बसेरे में बिच्छू और सांपो का हवाला देकर डूसिब सुप्रीम कोर्ट पहुचा है। जिनमें दांडी पार्क स्थित चार और यमुना बाजार के पास दो रैन बसेरा शामिल है। जिनमें दांडी पार्क स्थित चार रैन बसेरा जिनका कोड नंबर 216, 217, 240, 241 और यमुना बाजार के पास के रैन बसेरे का कोड नंबर 97 ओर 215 है। डूसिब ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने आवेदन में कहा कि डूसिब उपरोक 6 रैन बसेरे में रहने वाले लोगों को अन्य रैन बसेरे में शिफ्ट करेगा।

डूसिब द्वारा मार्च से अब तक कई बार यमुना पुस्ता और आस पास के इलाकों से सड़क पर सो रहे बेघरों को विशेष अभियान चलाकर द्वारका, गीता कॉलोनी, रोहिणी एवं अन्य स्थानों के रैन बसेरे में शिफ्ट किया गया था। अगर सूत्रों की माने तो रैन बसेरे में शिफ्ट किए गए बेघरों में चंद लोग भी अभी वहां आश्रय नही ले रहे है। शिफ्ट किए गए बेघर आज भी सड़को पर देखने को मिल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक़ शिफ्ट किए गए स्थानों के आस पास खाने पीने और काम मिलने में हो रही समस्या के कारण लोग वहां से वापिस कश्मीरी गेट के आस पास के इलाकों में सड़कों पर रहने आ जाते है।

सुप्रीम कोर्ट की राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति के सदस्य इंदु प्रकाश सिंह ने कहा कि ये मानवीय अधिकारों का हनन है। डूसिब बेघरों के रहने का अधिकार छीन रहा है। नौ रैन बसेरों को डूसिब पहले ही ध्वस्त करके लोगों को सड़क पर सोने को मजबूर किया है। अब डूसिब बिच्छू, सांप और बाढ़ का बहाना बनाकर 6 रैन बसेरे में रह रहे बेघरों को कही और भेजने और ये रैन बसेरे को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। जब इन बेघरों को रखा था तब डूसिब को बिच्छू, सांप और बाढ़ कुछ नही दिखा, अगर बाढ़ क्षेत्र की बात करे तो इन रैन बसेरे के पास ही एक अस्पताल है, यमुना नदी के पास ही अक्षरधाम मंदिर है, ये सिर्फ डूसिब द्वारा बेघरों को आश्रय विहीन करने का एक बहना है। डूसिब जी20 के नाम पर बेघरों के लिए बने रैन बसेरे को खत्म करने में लगा हैं।

उन्होंने आगे कहा कि डूसिब ने पहले जो नौ रैन बसेरे ध्वस्त किए उनके बदले में एक भी नए रैन बसेरे का निमार्ण नही किया है। डूसिब दावा करता है की यहां रहते लोगों को नजदीकी रैन बसेरे में शिफ्ट किया है। पर राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति ने आस पास के कई रैन बसेरे का दौरा किया जहा पाया की कई रैन बसेरे की क्षमता 50 की है पर बेड, गद्दे इत्यादि सिर्फ 18–20 ही है इसमें 50 लोगों को कैसे रखा होगा! जहां 50 लोगों को रहने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है, जिसका रिपोर्ट कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को दे दिया है। बीते दिनों से डूसिब द्वारा विशेष अभियान के तहत सड़क पर सोने लोगों को दूर दराज के रैन बसेरे मे भेजा जा रहा है जो अनुचित है, क्योंकि ये लोग यमुना पुस्ता के आसपास कई सालों से रहते आए हैं। यही आसपास उनके संपर्क है, जिसके कारण उन लोगों को काम मिलने में भी आसानी होती है। डूसिब को इन लोगों को आस पास के रैन बसेरे में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कर शिफ्ट करने की योजना बनानी चाहिए।

डूसिब सीईओ गरीमा गुप्ता से इस खबर संबधित कई सवाल पूछे पर खबर लिखे जाने तक उनकी ओर से एक भी सवाल का जवाब नही दिया गया। डूसिब के कई अधिकारियों से भी संपर्क किया पर कोई भी आधिकारी इस पर कुछ भी बताने को तैयार नही है।

 

 

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