दिल्ली:दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, डेरा गांव निवासी उमेश कुमार ने शुक्रवार सुबह 5:43 बजे सूचना दी थी कि बांस गांव को जाने वाले रास्ते पर शिव मंदिर के पास प्लास्टिक के बोरे से बच्चे के रोने की आवाज आ रही है। इसके बाद पीसीआर में तैनात महिला सिपाही साक्षी, फतेहपुरी थानाध्यक्ष में तैनात इमरजेंसी ड्यूटी अफसर एसआई सोहनलाल, सिपाही नरेंद्र और अलका मौके पर पहुंचे।
बोरे को खोला गया तो चादर में नवजात लिपटी हुई थी।शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। महिला पुलिसकर्मियों ने गोद में उठाकर बच्ची को चुप कराया और सफरदजंग अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के बाद बच्ची की हालत बेहतर बताई जा रही है। डाॅक्टराें का कहना है कि बच्ची का जन्म कुछ घंटे या फिर एक दिन पहले हुआ है।
बोरे का मुंह थोड़ा खुला होने से बच्ची की जान बच गई।पुलिस की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि माता-पिता शुक्रवार तड़के ही बच्ची को फेंककर गए थे। ऐसा लग रहा है कि पीसीआर कॉल होने से एक घंटे पहले आरोपी कार से मौके पर आए थे। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें कार को इलाके में देखा था। पुलिस पूरे रास्ते में लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगाल रही है।
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