सनातन धर्म पर टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई तीसरी अर्जी

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

सनातन धर्म-को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी दाखिल की गई है. उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ यह अर्जी यूपी के बदायूं के रहने वाले हिमांशु कुमार ने दाखिल किया है. इस अर्जी में सनातन धर्म के खिलाफ और अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने का निर्देश देने की मांग भी की है.सुप्रीम कोर्ट में यह वकील अश्विनी उपाध्याय ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ कार्रवाई और सुधारात्मक कदम उठाने की मांग करते हुए दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि ऐतिहासिक तथ्यों, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और कानूनी प्रावधानों तथा हिंदुओं, जैनों, बौद्धों और सिखों के अपने धार्मिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने के अधिकार को ध्यान में रखते हुए, उदयनिधि स्टालिन की आगे की टिप्पणियों पर रोक लगाने के निर्देश दें. वहीं, हिमांशु कुमार का कहना है कि स्टालिन ने डेंगू, मलेरिया की तरह सनातन धर्म को पूरी तरह से खत्म करने का आह्वान किया था. यह नफरत फैलाने वाले भाषण का सबसे खराब रूप है, जहां सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए.
बता दें कि बीते दिनों तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातम धर्म  की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी. उनकी इस टिप्पणी के बाद डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ मुंबई से सटे मीरा रोड पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए है और 295ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई. बता दें कि उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद की स्थानीय इकाई की शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने दो सितंबर को आरोप लगाया था कि सनातन धर्म समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इसे खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू बुखार से भी की थी. भाजपा नेता ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दलों पर भी हमला किया और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनमें से किसी ने भी अब तक उदयनिधि की टिप्पणी की निंदा नहीं की है.

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