मुस्लिमों की स्थिति पर मदनी ने जताई चिंता

जमीयत उलेमा ए हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने रविवार (24 सितंबर) को देश में मुसलमानों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे पूरी दुनिया के मुसलमान परेशान हैं और खाड़ी देश हमारी भूमिका पर सवाल उठा रहा हैं. ये देश हमसे पूछ रहे हैं कि इतना बड़ा संगठन होने का क्या फायदा जब कुछ कर नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाकर देश के बहुसंख्यक समुदाय को मूर्ख बनाया जा रहा है. मुंबई में देश में हालिया स्थिति, चुनौतियों और समाधान को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में मौलाना महमूद मदनी भी शामिल हुए थे. देश में मुसलमानों की स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दल अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रहे यह सिर्फ एक समुदाय का मुद्दा नहीं बल्कि पूरे देश का मुद्दा है.रिपोर्ट के मुताबिक, उनसे सवाल किया गया कि आज देश में मुसलमानों के साथ जो हो रहा है उस पर राजनीतिक दलों ने जिस तरह प्रतिक्रिया दी है उस पर उनकी क्या राय है. इसके जवाब में मदनी ने कहा कि वह इससे काफी निराश हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अपनी जिम्मेदारियां निभाने में असफल हुए हैं. मदनी ने कहा कि यह सिर्फ अल्पसंख्यकों का मुद्दा नहीं है बल्कि यह पूरे देश का मुद्दा है.

मौलाना मदनी ने आगे कहा कि आजकल ऐसा कहा जा रहा है, ‘हमें हर तरह की आजादी चाहिए. हमें राजनीतिक आजादी, धार्मिक आजादी और सब कुछ चाहिए, लेकिन लगता है कि हमें भी मूर्ख बनने की आजादी मिल गई है. उन्होंने कहा कि जो लोग मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं, वह बहुसंख्यक समुदाय को मूर्ख बना रहे हैं.

मदनी ने आगे कहा कि निराशा की वजह से मुसलमानों में गुस्सा है और जब एक समुदाय में ये दोनों भावनाएं हों तो इस बात का खतरा बढ़ जाता है कि समुदाय के लोग तीसरी दिशा में जाना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मुस्लिम सोसाइटी में इस बात की चिंता है कि देश में मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है. मदनी ने कहा कि खाड़ी देशों के मुसलमान लगातार उलेमा ए हिंद की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं. वह हमसे पूछ रहे हैं कि अगर हम कुछ कर नहीं पा रहे तो इतना बड़ा संगठन होने का क्या मतलब है.’

मौलाना मदनी ने कहा कि सोशल मीडिया पर हमें कायर कहा जाता है. उन्होंने कहा, ‘हमसे लगातार सवाल किए जा रहे हैं कि हम कुछ कर क्यों नहीं रहे. मदनी ने कहा कि हम पढ़े लिखे और जो कम पढ़े लिखे मुसलमान हैं सभी से बात कर रहे हैं. हमारा पहला मकसद लोगों में यह उम्मीद पैदा करना और उन्हें ये बताना है कि जमीनी हकीकत कुछ और है, वह नहीं जो सरकार और उनके समर्थक दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोगों से बातचीत करके हमें समझ आया कि इसी तरह लोगों को समझाया जा सकता है और वह समझ भी रहे हैं.’

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