जनजाति सुरक्षा मंच का बड़ा फैसला, आगामी चुनाव में करेगी बहिष्कार

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़ 

छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। RSS समर्थित जनजाति सुरक्षा मंच ने तय किया है कि यदि आरक्षित सीट पर धर्म बदल चुके नेता को टिकट मिला तो उसका विरोध किया जाएगा। बीजेपी का एक घोषित प्रत्याशी इनके विरोध का शिकार हो सकता है।डी-लिस्टिंग को आसान शब्दों में समझिए कि ऐसे आदिवासी जिन्होंने किसी कारण से ईसाई या इस्लाम धर्म कबूल कर लिया। अपनी पूजा पद्धति और मान्यताओं को बदल लिया, मगर ST कैटिगरी के आरक्षण का पूरा लाभ ले रहे हैं। उन्हें आरक्षण की लिस्ट से हटाने की मांग ही डी-लिस्टिंग है।

जनजाति सुरक्षा मंच के अखिल भारतीय सहसंयोजक डॉ. राज किशोर हंसदा का कहना है कि छत्तीसगढ़ में ऐसे बहुत लोग हैं। जिनकी वजह से जनजाति वर्ग के अधिकारों का हनन हो रहा है, जो सुविधा आदिवासियों को मिलनी चाहिए वह धर्म बदल चुके लोग हासिल कर रहे हैं। हम इसी का विरोध कर रहे हैं।

ऐसे व्यक्ति जो मूलधर्म, संस्कृति, परंपरा और रूढ़ियों को छोड़ चुके हैं, उन्हें जनजाति सूची से बाहर किया जाए।

जानकारी मिली है कि विधानसभा चुनाव के लिए ST सीट से धर्मांतरित व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसका हम विरोध करेंगे।

दिसंबर 2023 तक महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल मुख्य रैलियां होंगी।

अगर संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन कर डी-लिस्टिंग कानून नहीं बनाया जाता है तो राष्ट्र भर की 705 अनुसूचित जनजातियां, संसद का घेराव करेंगी।

देशभर में ग्रामीण स्तर तक संगठन की पहुंच को बढ़ाया जाएगा। गांव की सड़क से राष्ट्र की संसद तक संघर्ष थीम पर अभियान चलेगा।

चुनाव में उस प्रत्याशी का विरोध किया जाएगा जो ताल्लुक तो आदिवासी वर्ग से रखता है, मगर अपनी धार्मिक मान्यताओं को बदल चुका है। गांव-गांव पहुंचकर आदिवासियों से इन प्रत्याशियों को नहीं चुनने की अपील करेंगे। ऐसे उम्मीदवारों को सियासी नुकसान होना तय है। इस तरह की रणनीति पहली बार चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में सामने आई है।

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