केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत ‘भारत से नमस्ते’ बोलकर की. उन्होंने कहा, ”नमस्ते फ्रॉम भारत (भारत की ओर से नमस्ते).” इसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी. यूएनजीए में जयशंकर ने कहा कि UNSC में बदलाव होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कूटनीति और बातचीत से ही दुनिया में तनाव को कम किया जा सकता है.विदेश मंत्री ने कहा, ”एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है. वे दिन बीत गए जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें.” उन्होंने कहा, ”अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं. यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता.”
उन्होंने कहा, ”जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए.” उन्होंने कहा, ”गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने ‘विश्व मित्र’ की अवधारणा विकसित की है.”
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