मणिपुर सरकार ने राज्य की मौजूदा कानून व्यवस्था के मद्देनजर बुधवार (27 सितंबर) को पूरे राज्य को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत छह महीने के लिए ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया. हालांकि, घाटी के 19 थानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है.बुधवार (27 सितंबर) को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, “मणिपुर के राज्यपाल ने 19 थाना क्षेत्रों में आने वाले इलाकों को छोड़कर, पूरे मणिपुर राज्य को छह महीने की अवधि के लिए अशांत क्षेत्र घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
इसमें कहा गया है कि प्रदेश में AFSPA कानून को एक बार फिर छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. यह एक अक्टूबर 2023 से प्रभावी होगा. जिन थाना क्षेत्रों में यह कानून लागू नहीं किया गया है, उनमें इंफाल, लांफेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पास्टोल, वांगोई, पोरोम्पैट, हेंगांग, लामलाई, इरिबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम शामिल हैं.
राज्य सरकार ने अधिसूचना में कहा कि विभिन्न चरमपंथी/विद्रोही समूहों की हिंसक गतिविधियों के कारण पूरे राज्य में सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की मदद के लिए सशस्त्र बलों की जरूरत है. इसमें कहा गया है कि ऐसे संवेदनशील मामले पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ‘अशांत क्षेत्र’ की स्थिति की समीक्षा करना भी उचित नहीं है.
यह फैसला संदिग्ध हथियारबंद लोगों के मैतई समुदाय के दो छात्रों के अपहरण और हत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद लिया गया है. दरअसल, हाल ही में सोशल मीडिया पर मणिपुर के दो छात्रों के शवों की तस्वीरें वायरल हुई थीं. तस्वीरें सामने आने के बाद मंगलवार (26 सितंबर) को बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए. इस दौरान छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हो गई. इस घटना में लगभग 45 लोग घायल हो गए.
इतना ही नहीं बुधवार (27 सितंबर) को इंफाल सीएम सचिवालय से लगभग 200 मीटर दूर मोइरंगखोम में भी पुलिस और छात्र उस समय आमने-सामने आ गए जब विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों ने पुलिस पर पथराव कर दिया. उसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े.
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