झारखण्ड की राजधानी राँची में साइबर अपराध की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। साइबर अपराध मामले में जहां रांची पूरे राज्य में अव्वल है, वहीं सबसे अधिक राशि की साइबर ठगी राँची में ही हो रही है। अपराध अनुसंधान विभाग की साइबर थाना पुलिस लगातार साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी कर रही है, लेकिन साइबर अपराधियों के पास से ठगी के पैसे रिकवरी नहीं हो पा रही है। अपराध अनुसंधान विभाग के जारी साइबर अपराध के आंकड़ों पर नजर डालें, तो राँची में सिर्फ पिछले पांच साल में 1432 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए। जिसमें 50 करोड़ रुपए से अधिक के साइबर अपराध हुए। इसमें 916 मामले आज भी लंबित हैं।राँची में पांच साल में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने 10 करोड़ रुपए अपराधियों के खाते में फ्रीज कराए है और कोर्ट में सुलहनामा के बाद वापसी कराए है। वहीं पूरे राज्य में पिछले पांच वर्षों में साइबर अपराध के 5352 मामले दर्ज हुए। जो 150 करोड़ रुपए से भी अधिक के ठगी के हैं। इसमें 3483 मामले आज भी लंबित है। हालांकि, इसमें कई मामले में अपराधी पकड़े गए। लेकिन इनके पास से रिकवरी के नाम पर एटीएम, पासबुक, चेकबुक और लैपटॉप ही शामिल थे। रांची में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने सितंबर तक 67 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये उन मामलो में गिरफ्तारी हुई है जिसमें साइबर ठगी दो लाख रुपए से उपर हुई और मामला साइबर क्राइम थाने में दर्ज हुआ। लेकिन जिले के अन्य थानों में जो साइबर अपराध के मामले दर्ज हो रहे है उनमें ना गिरफ्तारी हो रही है और ना ही रिकवरी। क्योंकि वहां एक्सपर्ट अधिकारी ना के बराबर है।
साइबर अपराधियों का शिकार ज्यादातर महिलाएं और बुजुर्ग हो रहे है। इनमें वैसी महिलाएं शामिल है जो पढ़ी लिखी है लेकिन उनके झांसे में आ जा रही है। वहीं साइबर अपराधी 55 साल से उपर के बुजुर्गों को झांसे में ले रहे है। उन्हें जबतक समझ में आए कि वे फंस रहे है तब तक उनसे ठगी हो जा रही है।
साइबर अपराध में जामताड़ा चौथे स्थान पर
राज्य भर में चार जिलों में सबसे अधिक साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें राँची पहले स्थान पर है। वहीं धनबाद दूसरे स्थान पर, जमशेदपुर तीसरे स्थान पर और देश भर में साइबर अपराध के लिए चर्चित जामताड़ा जिला साइबर अपराध में अब चौथे स्थान पर चला गया है। पूरे झारखण्ड में कोरोना काल के समय वर्ष 2019 व 2020 में साइबर अपराध के सबसे अधिक मामले सामने आए। क्योंकि सबसे ज्यादा लोग मोबाइल व इंटरनेट पर व्यस्त रहते थे। जिसका फायदा साइबर अपराधियों ने उठाया।
इन दिनों साइबर अपराधी ठगी का नया ट्रेंड अपना रहे है इसलिए लोग इनका शिकार बन रहे है। पहले एटीएम का पिन पूछकर ठगी होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब साइबर अपराधी गूगल सर्च इंजन पर अपना नंबर हर उन जगहों पर डाल रहे है जहां लोग मदद के लिए नंबर ढूंढा करते है। डाक्टर का अॉन लाइन बुकिंग, किसी भी कंपनी का टॉल फ्री नंबर, कस्टमर केयर नंबर, एयरलाइंस एजेंसी की टिकट बुकिंग व कैंसिलेशन के लिए दिए गए टॉल फ्री नंबर, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी जैसे मामलों में दिए कस्टमर केयर नंबर पर सभी जगह साइबर अपराधियों ने डाल रखे है। जैसे ही उपभोक्ता इन नंबरों पर फोन करते है वे लोग झांसे में लेकर उन्हें ठगी का शिकार बना रहे है। इसलिए ऐसे नंबर जो सर्च इंजन से निकाल कर लोग इस्तेमाल कर रहे है, उनपर सावधानी से बात करे।–साइबर एक्सपर्ट
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