जेल अपराधी के मन के दृष्टिकोण को बदलने का सबसे उपयुक्त स्थान है

राष्ट्रीय जजमेंट

जेल समाज का वो हिस्सा है जहां रहने वाले हर कैदी को हेय दृष्टि से देखा जाता है। जबकि जेल में लोगों को सुधरने के लिए भेजा जाता है। इनमें से कुछ लोगों को अगर छोड़ दिया जाए तो जेल से सजा काट कर निकलने वाले अधिकांश लोग इस संकल्प के साथ बाहर आते हैं कि दोबारा जीवन में वो कोई अपराध नहीं करेंगे। मानवीय दृष्टि से देखा जाए तो जेल अपराधी के मन के दृष्टिकोण को बदलने का सबसे उपयुक्त स्थान है, जहां वो अपने गुनाहों की सजा काटते हैं। खुद बिहारी जी ने कारागार में जन्म लेकर आसुरी शक्तियों का नाश कर समाज को भयमुक्त, अपराधमुक्त और अपराधी मुक्त रहने का संदेश दिया है। और जेल में रहकर कैदी भी अपने मन मस्तिष्क में व्याप्त विकारों से तौबा करते हैं।प्रदेश के कारागार एवं होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति भी इन्हीं उद्देश्यों के साथ यूपी की जेलों में बंद समाज के बहिष्कृत लोगों को बदलने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं। अपने सरकारी आवास में एनयूजे यूपी के पदाधिकारियों और विभिन्न अख़बारों के पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बंदियों के जीवन में सुधार के लिए किए जा रहे तमाम क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही यह भी जानकारी दी कि किस तरह से सरकार और विभाग बंदियों के व्यवहार परिवर्तन के लिए काम कर रहा है।

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