रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में मंगलवार को विरोध के दो अलग-अलग रूप देखने को मिले। एक जहां लोकतांत्रिक है, वहीं दूसरा लोकतंत्र के लिए चिंताजनक। दरअसल, संपत्ति कर बढ़ाए जाने के विरोध में भाजपा पार्षद नगर निगम पर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान पत्रकार उनकी कवरेज के लिए हेलमेट पहनकर पहुंचे।
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शहर की समस्याओं को लेकर भाजपा पार्षदों ने नगर निगम मुख्यालय में महापौर के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। भाजपा पार्षदों ने जीआईएस सर्वे को फर्जी बताया और उसके आधार पर संपति कर बढ़ाए जाने का विरोध किया। साथ ही जीआईसी सर्वे को रद्द करने की मांग रखी।
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नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत राठौर ने कहा कि शहर में समस्याओं का अंबार है, लेकिन महापौर कोई सुध नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने में मस्त हैं। निगम की ओर से संपत्ति कर के निर्धारण के लिए घर और दुकानों का जीआईएस सर्वे कराया गया है।
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मौजूदा समय मे निर्धारित संपत्ति कर और पूर्व के संपत्ति कर में बहुत अंतर है, जिसके कारण शहर के करदाता संशय में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों संपत्तिकर के अंतर की राशि को समायोजित करने के नाम पर राजस्व विभाग अवैध वसूली कर रहा है।
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भाजपा कार्यालय में हुए विवाद को लेकर चल रहा है पत्रकारों का प्रदर्शन
दरअसल शनिवार को भाजपा ने हार के बाद जिला स्तरीय समीक्षा बैठक रखी थी। जिसमें पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन बैठक शुरू होती इससे पहले ही पूर्व विधायक नंदे साहू और जिला अध्यक्ष राजीव अग्रवाल के बीच बहस हो गई। विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि नौबत हाथापाई तक आ गई।
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इस दौरान वहां मौजूद एक पत्रकार पूरे घटनाक्रम को अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे। इसे देखकर भाजपा नेताओं ने वीडियो डिलीट करने को कहा। बात इतनी बढ़ी कि आरोप है कि भाजपा नेताओं ने पत्रकार से मारपीट की उनका मोबाइल छीन लिया। वीडियों को डिलीट कर दिया।
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वहीं एक महिला पत्रकार के साथ भी जिला अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने बदसलूकी करते हुए उन्हें धक्का देकर बाहर निकाल दिया। इसके बाद पत्रकारा की ओर से जिला अध्यक्ष राजीव अग्रवाल समेत 4 नेताओं के खिलाफ पुलिस ने मामला कराया गया।
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घटना के बाद से आक्रोशित पत्रकार दोषी नेताओं को पार्टी से निष्कासन की मांग कर रहे हैं। वे अपनी मांग को लेकर प्रेस क्लब के बाहर शनिवार से लगातार धरना दे रहे हैं। पत्रकारों ने प्रेस क्लब से एक मशाल रैली भी निकाली थी। इस रैली को कई समाज सेवी संगठनों ने अपना समर्थन दिया था.