नीरजपाराशर आचारय:










* जय श्री राधे *

महर्षि पाराशर पंचांग 



अथ पंचांगम् 


**ll जय श्री राधे ll**










दिनाँक:-20/11/2023, सोमवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष,
कार्तिक
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– अष्टमी 27:15:46 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———– धनिष्ठा 21:24:56
योग————– ध्रुव 20:33:54
करण——- विष्टि भद्र 16:18:44
करण————– बव 27:15:46
वार———————– सोमवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि—— मकर 10:06:39
चन्द्र राशि—————– कुम्भ
सूर्य राशि—————– वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————-पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:44:46
सूर्यास्त—————- 17:24:27
दिन काल————- 10:39:41
रात्री काल———— 13:21:05
चंद्रोदय—————- 12:58:40
चंद्रास्त—————- 24:14:18
लग्न—-वृश्चिक 3°15′ , 213°15′
सूर्य नक्षत्र—————–विशाखा
चन्द्र नक्षत्र—————— धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र


पद, चरण 


गी—- धनिष्ठा 10:06:39
गु—- धनिष्ठा 15:45:52
गे—-धनिष्ठा 21:24:56
गो—- शतभिषा 27:03:53


ग्रह गोचर 


ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 03:30,विशाखा 4 तो
चन्द्र= मकर 27:30 , धनिष्ठा 2 गी
बुध =वृश्चिक 20°:53′ ज्येष्ठा 2 या
शु क्र=कन्या 18°05, हस्त’ 3 ण
मंगल=वृश्चिक 02°30 ‘ विशाखा’ 4 तो
गुरु=मेष 14°30 ‘ भरणी , 1 ली
शनि=कुम्भ 06°50 ‘ धनिष्ठा ,4 गे
राहू=(व) मीन 28°50 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 28°50 चित्रा , 2 पो


शुभा$शुभ मुहूर्त 


राहू काल 08:05 – 09:25 अशुभ
यम घंटा 10:45 – 12:05 अशुभ
गुली काल 13:25 – 14: 45अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 12:26 – 13:09 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:34 – 15:17 अशुभ
वर्ज्यम 28:12* – 29:42* अशुभ
पंचक 10:07 – अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
अमृत 06:45 – 08:05 शुभ
काल 08:05 – 09:25 अशुभ
शुभ 09:25 – 10:45 शुभ
रोग 10:45 – 12:05 अशुभ
उद्वेग 12:05 – 13:25 अशुभ
चर 13:25 – 14:45 शुभ
लाभ 14:45 – 16:04 शुभ
अमृत 16:04 – 17:24 शुभ
चोघडिया, रात
चर 17:24 – 19:05 शुभ
रोग 19:05 – 20:45 अशुभ
काल 20:45 – 22:25 अशुभ
लाभ 22:25 – 24:05* शुभ
उद्वेग 24:05* – 25:45* अशुभ
शुभ 25:45* – 27:25* शुभ
अमृत 27:25* – 29:05* शुभ
चर 29:05* – 30:46* शुभ
होरा, दिन
चन्द्र 06:45 – 07:38
शनि 07:38 – 08:31
बृहस्पति 08:31 – 09:25
मंगल 09:25 – 10:18
सूर्य 10:18 – 11:11
शुक्र 11:11 – 12:05
बुध 12:05 – 12:58
चन्द्र 12:58 – 13:51
शनि 13:51 – 14:45
बृहस्पति 14:45 – 15:38
मंगल 15:38 – 16:31
सूर्य 16:31 – 17:24
होरा, रात
शुक्र 17:24 – 18:31
बुध 18:31 – 19:38
चन्द्र 19:38 – 20:45
शनि 20:45 – 21:51
बृहस्पति 21:51 – 22:58
मंगल 22:58 – 24:05
सूर्य 24:05* – 25:12
शुक्र 25:12* – 26:19
बुध 26:19* – 27:25
चन्द्र 27:25* – 28:32
शनि 28:32* – 29:39
बृहस्पति 29:39* – 30:46
उदयलग्न प्रवेशकाल 
वृश्चिक > 05:28 से 08:02 तक
धनु > 08:02 से 08:28 तक
मकर > 08:28 से 11:36 तक
कुम्भ > 11:36 से 13:08 तक
मीन > 13:08 से 14:30 तक
मेष > 14:30 से 16:18 तक
वृषभ > 16:18 से 18:16 तक
मिथुन > 18:16 से 20:24 तक
कर्क > 20:24 से 22:40 तक
सिंह > 22:40 से 00:42 तक
कन्या > 00: 42 से 04:12 तक
तुला > 03:12 से 05:28 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 2 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

ग्रह मुख आहुति ज्ञान 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 16:18 तक समाप्त
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