पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। आरोपों की जांच कर रही संसद की आचार समिति की रिपोर्ट सौंपने के बाद लोकसभा में यह फैसला लिया गया है। रिपोर्ट में महुआ की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की गई थी।
मामले में 15 अक्तूबर को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। महुआ मोइत्रा पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोप है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और उनके खिलाफ लोकसभा स्पीकर से शिकायत कर जांच की मांग की। उन्होंने दावा किया था कि ये सबूत वकील जय अनंत देहादराई द्वारा प्रदान किए गए थे। आरोप है कि मोइत्रा ने संसद में उनके द्वारा पूछे गए कुल 61 में से लगभग 50 प्रश्न दर्शन हीरानंदानी और उनकी कंपनी के व्यावसायिक हितों को बचाने के लिए थे। हालांकि, महुआ मोइत्रा ने जय अनंत का जिक्र करते हुए कहा कि आरोप झूठ पर आधारित थे। महुआ पर हीरानंदानी को सवाल पूछने के लिए अपनी ‘लॉगइन आईडी’ और पासवर्ड देने का भी आरोप है। इन आरोपों के सामने आने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने पूरा मामला आचार समिति के पास भेज दिया था। मामले की जांच करने वाले लोकसभा की आचार समिति ने 2 नवंबर को पूछताछ की थी। आचार समिति के सामने खुद महुआ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के पोर्टल से जुड़ी अपनी आईडी-पासवर्ड साझा किए थे। वहीं 9 नवंबर को एक बैठक में भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कांग्रेस सांसद परनीत कौर सहित समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। जबकि विपक्षी दलों से जुड़े समिति के चार सदस्यों ने असहमति नोट प्रस्तुत किए थे।
शुक्रवार को महुआ के खिलाफ निष्कासन प्रस्ताव लाया गया। वहीं लोकसभा में रिपोर्ट पर चर्चा के बाद सदन ने समिति की सिफारिश के पक्ष में वोट किया जिससे मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म हो गई। हालांकि, विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस फैसले के विरोध जताया।
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