सशस्त्र पुलिस बल से पीएससी भेजे गए उपनिरीक्षक न्यायालय में लड़ रहे लड़ाई

पुलिस के कार्य व्यवहार में माहिर है,पीएसी भेजे गए उपनिरीक्षक

राष्ट्रीय जजमेंट

लखनऊ। पुलिस उच्चअधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना नीतियों के चलते सशस्त्र पुलिस बल के 310 उप निरीक्षक पीएससी में स्थानांतरित कर दिए गए। जबकि यह वही पुलिसकर्मी है, जोकि विभिन्न जनपदों में रहकर पुलिस के कार्य व्यवहार और यातायात सुरक्षा के माहिर बन चुके है। लेकिन विभागीय उच्च अधिकारियों की नफरमानी से उक्त सभी पुलिसकर्मी पिछले 5 महीने से पीएसी में रहकर न्यायालय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है। नाम न छापने की शर्त पर सामूहिक रूप से उक्त उपनिरीक्षकों का कहना है कि हमारी भर्ती वर्ष 1998 में बतौर आरक्षी के तौर पर नागरिक पुलिस में हुई थी। इसके बाद वर्ष 2008 में हम सशस्त्र पुलिस की परीक्षा पास कर मुख्य आरक्षी बन गए। वहीं वर्ष 2015 में तत्कालीन सरकार के निर्देश पर पुलिस अधिकारियों ने पुलिस नियमावली में संशोधन किया और उक्त आरक्षियों को नागरिक पुलिस में नियुक्ति दे दी। जिसके अनुसार उक्त सभी आरक्षी विभिन्न जनपदों के थानों पर भेज दिए गए। लेकिन मुख्य आरक्षियों को उसी जनपद में रोक कर उनके स्थानांतरण का अधिकार पीएसी को दे दिया गया। जिस पर कई याचिकाएं न्यायालय में विचाराधीन है । जबकि पुलिस नियमावली के अनुसार जो मुख्य आरक्षी जिस जनपद में तैनात है। उसका वही प्रमोशन कर दो वर्ष पर्यवेक्षा पर रखा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साथ ही उपनिरीक्षकों का कहना है कि स्थानांतरण नीति पीएसी मुख्यालय ने 2019 में बनाई गई थी। तो वह उन पर कैसे लागू की गई। जबकि हम सभी से पहले वर्ष 2020, 21 और 22 में पुलिसकर्मी पदोन्नति किए गए। लेकिन इन्हे पीएसी में स्थानांतरित नहीं किया गया। बता दें कि अभी हाल ही में एक पखवाड़ा पूर्व उप निरीक्षक सशस्त्र पुलिस सतीश कुमार की हृदयाघात से मौत हो गई थी। जो कि 37 बटालियन पीएसी कानपुर नगर में तैनात थे। बताया जा रहा है कि उनकी मृत्यु का कारण स्थानांतरण की नीति रही है। हालांकि यह जांच का विषय है। फिलहाल इस संबंध में कोई उच्च अधिकारी सटीक जानकारी देने को तैयार नहीं है।

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