कांग्रेस नेता उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, ‘विधानसभा में वरिष्ठता के आधार पर मुझे प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए था। हालांकि मैंने मंत्री के रूप में शपथ ली है, इसलिए नियम के अनुसार मुझे प्रोटेम स्पीकर बनने की अनुमति नहीं थी। फिर हमने वरिष्ठ विधायकों पर नजर डाला, तो अकबरुद्दीन ओवैसी सभी दलों में सबसे वरिष्ठ विधायक निकलें। इसलिए उन्हें प्रोटेम स्पीकर चुना गया। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।’ यह पिछली बीआरएस सरकार के दौरान भी अपनाई गई एक सामान्य प्रक्रिया थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्णय किसी बाहरी कारकों के कारण नहीं, बल्कि जो सही है उसके आधार पर किया गया था। पिछली बार जब बीआरएस सरकार थी तो एआईएमआईएम के एक विधायक प्रोटेम स्पीकर थे। इसका किसी और चीज से कोई लेना-देना नहीं है। हमने वही किया जो करना सही था। मैं एआईएमआईएम के साथ भविष्य के समीकरण पर टिप्पणी नहीं कर सकता। यह हमारे नेताओं पर है कि वह हर किसी के साथ चर्चा करें और हमें एक दिशा देनी चाहिए।’
दरअसल राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। इसके बाद चंद्रयानगुट्टा से नवनिर्वाचित विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को शपथ ली। छठी बार विधानसभा पहुंचे ओवैसी ने नवनिर्वाचित विधायकों को भी शपथ दिलाई। वहीं, भाजपा ने एलान के तहत अपने विधायकों को ओवैसी के सामने शपथ के लिए नहीं भेजा और समारोह का बहिष्कार किया। इससे पहले ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘नई सरकार, कांग्रेस के नए मुख्यमंत्री बनने के बाद रेवंत रेड्डी और कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है। रेवंत हर बार कहते थे कि भाजपा, बीआरएस और एआईएमआईएम एक हैं। आज पता चल गया कि कौन किसके साथ है।’ राजा के बाद केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर बनाने का पुरजोर विरोध किया। किशन रेड्डी ने कहा, ‘वरिष्ठ विधायकों को छोड़कर अकबरुद्दीन को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। ये नियमों और विधानसभा की परंपरा के खिलाफ है। हमारी पार्टी के विधायक नियमित स्पीकर आने के बाद ही शपथ लेंगे।’
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