नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-11/12/2023, सोमवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——— त्रयोदशी 07:09:36 तक
तिथि —–चतुर्दशी 30:23:48(क्षय )
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— विशाखा 12:12:36
योग———– सुकर्मा 20:57:19
करण———- वणिज 07:09:36
करण——- विष्टि भद्र 18:51:44
करण———– शकुनी 30:23:48
वार———————– सोमवार
माह———————- मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि—————– वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर—————– शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:00:31
सूर्यास्त—————- 17:24:02
दिन काल————- 10:23:30
रात्री काल————- 13:37:09
चंद्रास्त————— 15:55:12
चंद्रोदय—————- 30:14:43
लग्न—- वृश्चिक 24°32′ , 234°32′
सूर्य नक्षत्र—————— ज्येष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————- विशाखा
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
तो—- विशाखा 12:12:36
ना—- अनुराधा 18:12:00
नी—- अनुराधा 24:08:54
नू—- अनुराधा 30:03:26
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= वृश्चिक 24:30, ज्येष्ठा 3 यी
चन्द्र=वृश्चिक 00:30 , विशाखा 4 तो
बुध =धनु 13:53′ पूo षाo 1 भू
शु क्र=तुला 13°05, स्वाति’ 2 रे
मंगल=वृश्चिक 17 °30 ‘ ज्येष्ठा’ 1 नो
गुरु=मेष 12°30 ‘ अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 07°50 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 27°50 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 27°50 चित्रा , 2 पो
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 08:18 – 09:36 अशुभ
यम घंटा 10:54 – 12:12 अशुभ
गुली काल 13:30 – 14: 48अशुभ
अभिजित 11:52 – 12:33 शुभ
दूर मुहूर्त 12:33 – 13:15 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:38 – 15:19 अशुभ
वर्ज्यम 16:12 – 17:48 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत 07:01 – 08:18 शुभ
काल 08:18 – 09:36 अशुभ
शुभ 09:36 – 10:54 शुभ
रोग 10:54 – 12:12 अशुभ
उद्वेग 12:12 – 13:30 अशुभ
चर 13:30 – 14:48 शुभ
लाभ 14:48 – 16:06 शुभ
अमृत 16:06 – 17:24 शुभ
🚩चोघडिया, रात
चर 17:24 – 19:06 शुभ
रोग 19:06 – 20:48 अशुभ
काल 20:48 – 22:30 अशुभ
लाभ 22:30 – 24:13* शुभ
उद्वेग 24:13* – 25:55* अशुभ
शुभ 25:55* – 27:37* शुभ
अमृत 27:37* – 29:19* शुभ
चर 29:19* – 31:01* शुभ
💮होरा, दिन
चन्द्र 07:01 – 07:52
शनि 07:52 – 08:44
बृहस्पति 08:44 – 09:36
मंगल 09:36 – 10:28
सूर्य 10:28 – 11:20
शुक्र 11:20 – 12:12
बुध 12:12 – 13:04
चन्द्र 13:04 – 13:56
शनि 13:56 – 14:48
बृहस्पति 14:48 – 15:40
मंगल 15:40 – 16:32
सूर्य 16:32 – 17:24
🚩होरा, रात
शुक्र 17:24 – 18:32
बुध 18:32 – 19:40
चन्द्र 19:40 – 20:48
शनि 20:48 – 21:56
बृहस्पति 21:56 – 23:05
मंगल 23:05 – 24:13
सूर्य 24:13* – 25:21
शुक्र 25:21* – 26:29
बुध 26:29* – 27:37
चन्द्र 27:37* – 28:45
शनि 28:45* – 29:53
बृहस्पति 29:53* – 31:01
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
वृश्चिक > 04:04 से 06:24 तक
धनु > 06:24 से 08:30 तक
मकर > 08:30 से 10:16 तक
कुम्भ > 10:16 से 11:44 तक
मीन > 11:44 से 13:16 तक
मेष > 13:16 से 14:56 तक
वृषभ > 14:56 से 16:50 तक
मिथुन > 16:50 से 19:08 तक
कर्क > 19:08 से 21:24 तक
सिंह > 21:24 से 23:38 तक
कन्या > 23:38 से 01:48 तक
तुला > 01:48 से 04:00 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 2 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 07:10 से रात्रि 18:47 तक
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