नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
दिनाँक:- 16/12/2023, शनिवार
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष,
मार्गशीर्ष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– चतुर्थी 19:59:56 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———– श्रवण 28:36:04
योग———- व्याघात 27:46:00
करण———- वणिज 09:15:00
करण——- विष्टि भद्र 19:59:56
करण————– बव 30:45:34
वार———————– शनिवार
माह———————- मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—————— मकर
सूर्य राशि——– वृश्चिक15:57:48
सूर्य राशि———————-धनु
रितु————————– हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:03:43
सूर्यास्त—————- 17:25:37
दिन काल————- 10:21:53
रात्री काल————- 13:38:42
चंद्रोदय—————- 10:14:03
चंद्रास्त—————- 20:59:08
लग्न—-वृश्चिक 29°37′ , 239°37′
सूर्य नक्षत्र—————— ज्येष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————– श्रवण
नक्षत्र पाया—————— ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
खी—- श्रवण 11:56:37
खू—- श्रवण 17:29:37
खे—- श्रवण 23:02:44
खो—- श्रवण 28:36:04
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 29:30, ज्येष्ठा 4 यू
चन्द्र=मकर 10:30 , श्रवण 1 खी
बुध =धनु 13:53′ पूo षाo 1 भू
शु क्र=तुला 19°05, स्वाति’ 4 ता
मंगल=वृश्चिक 21 °30 ‘ ज्येष्ठा’ 2 या
गुरु=मेष 11°30 ‘ अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 07°40 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 27°35 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 27°35 चित्रा , 2 पो
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 09:39 – 10:57 अशुभ
यम घंटा 13:32 – 14:50 अशुभ
गुली काल 07:04 – 08: 21अशुभ
अभिजित 11:54 – 12:35 शुभ
दूर मुहूर्त 08:27 – 09:08 अशुभ
वर्ज्यम 10:06 – 11:34 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 07:04 – 08:21 अशुभ
शुभ 08:21 – 09:39 शुभ
रोग 09:39 – 10:57 अशुभ
उद्वेग 10:57 – 12:15 अशुभ
चर 12:15 – 13:32 शुभ
लाभ 13:32 – 14:50 शुभ
अमृत 14:50 – 16:08 शुभ
काल 16:08 – 17:26 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 17:26 – 19:08 शुभ
उद्वेग 19:08 – 20:50 अशुभ
शुभ 20:50 – 22:33 शुभ
अमृत 22:33 – 24:15* शुभ
चर 24:15* – 25:57* शुभ
रोग 25:57* – 27:40* अशुभ
काल 27:40* – 29:22* अशुभ
लाभ 29:22* – 31:04* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 07:04 – 07:56
बृहस्पति 07:56 – 08:47
मंगल 08:47 – 09:39
सूर्य 09:39 – 10:31
शुक्र 10:31 – 11:23
बुध 11:23 – 12:15
चन्द्र 12:15 – 13:06
शनि 13:06 – 13:58
बृहस्पति 13:58 – 14:50
मंगल 14:50 – 15:42
सूर्य 15:42 – 16:34
शुक्र 16:34 – 17:26
🚩होरा, रात
बुध 17:26 – 18:34
चन्द्र 18:34 – 19:42
शनि 19:42 – 20:50
बृहस्पति 20:50 – 21:59
मंगल 21:59 – 23:07
सूर्य 23:07 – 24:15
शुक्र 24:15* – 25:23
बुध 25:23* – 26:31
चन्द्र 26:31* – 27:40
शनि 27:40* – 28:48
बृहस्पति 28:48* – 29:56
मंगल 29:56* – 31:04
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
वृश्चिक > 03:48 से 06:08 तक
धनु > 06:08 से 08:14 तक
मकर > 08:14 से 10:00 तक
कुम्भ > 10:00 से 11:28 तक
मीन > 11:28 से 13:00 तक
मेष > 13:00 से 14:40 तक
वृषभ > 14:40 से 16:34 तक
मिथुन > 16:34 से 18:50 तक
कर्क > 18:50 से 21:08 तक
सिंह > 21:08 से 23:22 तक
कन्या > 23:22 से 01:32 तक
तुला > 01:32 से 03:38 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
4 + 7 + 1 = 12 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 09:16 से रात्रि 20:00 तक
Comments are closed.