रायपुर। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले काे लेकर अधिकारियों पर गाज गिरना शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने शनिवार को डीजी व आईपीएस मुकेश गुप्ता और नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया है। दोनों के खिलाफ शुक्रवार को ही गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग को लेकर एफआईआर दर्ज हुई थी।
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नान घोटाले की जांच के दौरान आरोपियों और संबंधित दर्जनों लोगों के फोन टैप करने के मामले में डीजी मुकेश गुप्ता और नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। फोन टैपिंग में एफआईआर का यह प्रदेश में पहला मामला है।
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एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने दोनों अफसरों पर साजिश, फर्जी दस्तावेज बनाने समेत आधा दर्जन अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया है। इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शाम को जब दिल्ली पहुंचे और वहां चर्चा के बाद प्रस्ताव मांगा गया।
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इस प्रस्ताव पर अमल करते हुए शनिवार को आईपीएस मुकेश गुप्ता और नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह के निलंबन के आदेश जारी कर दिए। आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों की ओर से किया गया कृत्य उनकी सेवा नियमों के विरुद्ध है, ऐसे में कार्रवाई करना जरूरी है।
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एसपीएस श्वेता सिन्हा पर भी गिरी गाज, जशपुर एडिशनल एसपी की जिम्मेदारी
वहीं राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी श्वेता सिन्हा पर भी गाज गिरी है। श्वेता सिन्हा का शुक्रवार देर रात जशपुर तबादला कर दिया गया है। उन्हें वहां पर एडिशनल एसपी की जिम्मेदारी दी गई है। श्वेता सिन्हा को आईपीएस मुकेश गुप्ता का करीबी माना जाता है।
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श्वेता सिन्हा लंबे समय से रायपुर में ही पदस्थ थीं। सूत्रों के मुताबिक, श्वेता सिन्हा नान घोटाले में चल रही ईओडब्ल्यू की जांच में हस्तक्षेप कर रहीं थीं। मुख्यमंत्री समेत राज्य शासन के कुछ आला अधिकारी नाराज उनसे थे। जिसके चलते वनिशमेंट ट्रांसफर पर जशपुर भेजा गया है।
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वहीं दूसरी ओर जशपुर में एडीशनल एसपी पद पर नियुक्त उनैजा खातून अंसारी को ईओडब्ल्यू में एडिशनल एसपी बनाया गया है। दोनों महिला अधिकारियों को वर्तमान पदस्थापना से तत्काल कार्यमुक्त करते हुए नवीन पदस्थापना में कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
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राज्य पुलिस सेवा की 2002 बैच की अधिकारी श्वेता सिन्हा परिवहन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर उप परिवहन आयुक्त के पद पर पदस्थ थीं। इससे पहले वे रायपुर में ही पुलिस विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर रहीं हैं।
क्या है नान घोटाला
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छत्तीसगढ़ में राइस मिलरों से लाखों क्विंंटल घटिया चावल लिए जाने और इसके बदले करोड़ों रुपए की रिश्वतखोरी का आरोप है। इसी तरह नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारी घोटाला किया गया। इस मामले में 27 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
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इनमें से 16 के खिलाफ 15 जून 2015 को अभियोग पत्र पेश किया गया। जबकि मामले में दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के पर कार्रवाई की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी गई।
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मामले में आरोपी दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा पर 4 जुलाई 2016 को केंद्र सरकार ने कार्रवाई की अनुमति भी दे दी, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया। फिर करीब ढाई साल बाद इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश करने की कार्रवाई की गई।
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कांग्रेस का आरोप : लाल डायरी में सीएम मैडम सहित कई और नाम
कांग्रेस का आरोप है कि इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपियों से एक डायरी भी बरामद की थी। इस डायरी में ‘सीएम मैडम’ समेत तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कई परिजनों के नाम कथित रुप से रिश्वत पाने वालों के तौर पर दर्ज थे।
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आरोप है कि इस कथित डायरी के 107 पन्नों में विस्तार से सारा कथित लेन-देन दर्ज़ था, लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने इस डायरी के केवल 6 पन्नों का सुविधानुसार उपयोग किया। आशंका जताई जा रही है डायरी के 107 पन्नों में पूरे घोटाले के राज छुपे हैं।