भाजपा ने दिल्ली के मंत्री भारद्वाज को बर्खास्त करने, कांग्रेस ने जांच की मांग की

राष्ट्रीय जजमेंट

दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘नकली’ दवाओं की कथित आपूर्ति पर उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को बर्खास्त करने की शनिवार को मांग की। कांग्रेस की दिल्ली इकाई ने कहा कि यह ‘‘गंभीर मामला’’ है और जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने स्थिति के लिए आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार को जिम्मेदार ठहराया। सचदेवा ने कहा, ‘‘हमारे पास लैब और सतर्कता रिपोर्ट है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दी जा रही दवाओं के नमूने फेल हो गए हैं।

 

 

हम मांग करते हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने स्वास्थ्य मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें।’’ दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जांच तेजी से पूरी होनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि घटिया दवाओं का मुद्दा सिर्फ भ्रष्टाचार का मामला नहीं है क्योंकि इससे लोगों की जान को खतरा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।’’ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अरविंदर सिंह लवली ने इस मुद्दे पर गौर करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक गंभीर समस्या है और इसकी जांच होनी चाहिए…सरकार को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करना चाहिए ताकि अन्य दवाओं का भी परीक्षण किया जा सके और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।’’

 

 

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद और भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा ‘घटिया’ दवाएं बांटने के इस प्रकरण ने केजरीवाल नीत सरकार के विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के दावे की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को विपश्यना से वापस आना चाहिए और ‘‘इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए।’’ केजरीवाल विपश्यना के लिए बुधवार को किसी अज्ञात स्थान पर चले गए। राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘‘नकली’’ दवाओं की कथित खरीद और आपूर्ति की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। राज निवास के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखे एक नोट में उपराज्यपाल ने उल्लेख किया है कि यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं।

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