नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-29/12/2023, शुक्रवार
द्वितीया, कृष्ण पक्ष,
पौष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- द्वितीया 07:59:08 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- पुष्य 27:08:37
योग———— वैधृति 26:27:20
करण————– गर 07:59:08
करण———– वणिज 20:47:25
वार———————– शुक्रवार
माह————————– पौष
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————- धनु
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————- 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:10:00
सूर्यास्त————— 17:32:14
दिन काल————- 10:22:13
रात्री काल————–13:38:07
चंद्रास्त—————- 09:05:34
चंद्रोदय—————- 19:39:31
लग्न—- धनु 12°52′ , 252°52′
सूर्य नक्षत्र——————– मूल
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
हु—- पुष्य 07:32:06
हे—- पुष्य 14:02:28
हो—- पुष्य 20:34:40
ड—- पुष्य 27:08:37
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= धनु 11:30, मूल 4 भी
चन्द्र=मिथुन 24:30 , पुनर्वसु 2 को
बुध =धनु 00:53′ मूल 1 ये
शु क्र=वृश्चिक 03°05, अनुराधा’ 1 ना
मंगल=वृश्चिक 00 °30 ‘ मूल ‘ 1 ये
गुरु=मेष 11°30 ‘ अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 08°40 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 26°55 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 26°55 चित्रा , 2 पो
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 11:03 – 12:21 अशुभ
यम घंटा 14:57 – 16:14 अशुभ
गुली काल 08:28 – 09: 46अशुभ
अभिजित 12:00 – 12:42 शुभ
दूर मुहूर्त 09:14 – 09:56 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:42 – 13:23 अशुभ
वर्ज्यम 09:42 – 11:26 अशुभ
🚩गंड मूल 27:09* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 07:10 – 08:28 शुभ
लाभ 08:28 – 09:46 शुभ
अमृत 09:46 – 11:03 शुभ
काल 11:03 – 12:21 अशुभ
शुभ 12:21 – 13:39 शुभ
रोग 13:39 – 14:57 अशुभ
उद्वेग 14:57 – 16:14 अशुभ
चर 16:14 – 17:32 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:32 – 19:14 अशुभ
काल 19:14 – 20:57 अशुभ
लाभ 20:57 – 22:39 शुभ
उद्वेग 22:39 – 24:21* अशुभ
शुभ 24:21* – 26:04* शुभ
अमृत 26:04* – 27:46* शुभ
चर 27:46* – 29:28* शुभ
रोग 29:28* – 31:10* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 07:10 – 08:02
बुध 08:02 – 08:54
चन्द्र 08:54 – 09:46
शनि 09:46 – 10:37
बृहस्पति 10:37 – 11:29
मंगल 11:29 – 12:21
सूर्य 12:21 – 13:13
शुक्र 13:13 – 14:05
बुध 14:05 – 14:57
चन्द्र 14:57 – 15:49
शनि 15:49 – 16:40
बृहस्पति 16:40 – 17:32
🚩होरा, रात
मंगल 17:32 – 18:40
सूर्य 18:40 – 19:49
शुक्र 19:49 – 20:57
बुध 20:57 – 22:05
चन्द्र 22:05 – 23:13
शनि 23:13 – 24:21
बृहस्पति 24:21* – 25:29
मंगल 25:29* – 26:38
सूर्य 26:38* – 27:46
शुक्र 27:46* – 28:54
बुध 28:54* – 30:02
चन्द्र 30:02* – 31:10
,🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
धनु > 05:12 से 07:22 तक
मकर > 07:22 से 09:14 तक
कुम्भ > 09:14 से 10:36 तक
मीन > 10:36 से 12:06 तक
मेष > 12:06 से 13:48 तक
वृषभ > 13:48 से 15:46 तक
मिथुन > 15:46 से 17:58 तक
कर्क > 17:58 से 20:18 तक
सिंह > 20:18 से 22:26 तक
कन्या > 22:26 से 00:46 तक
तुला > 00:46 से 02:50 तक
वृश्चिक > 02:50 से 05:08 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 2 + 6 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 20:51 से प्रारम्भ
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